सामान्य ज्ञान

पृथ्वी द्वितीय
06-Jan-2022 12:15 PM
पृथ्वी द्वितीय

भारत ने सतह से सतह पर मार करने वाले बैलेस्टिक मिसाइल पृथ्वी द्वितीय का 3 दिसंबर 2013 को ओडिशा के बालासोर जिले के चांदीपुर से सफल परीक्षण किया गया। यह परीक्षण सेना के प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा था।

 350 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता सहित परमाणु मुखास्त्र वाले इस प्रक्षेपास्त्र में लिक्विड प्रोपेल्ड सिस्टम है। इससे पहले इस प्रक्षेपास्त्र का 7 अक्टूबर 2013 को परीक्षण किया गया था। पृथ्वी-2 भारत के एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित की गई पहली मिसाइल है। यह मिसाइल 500 से एक हजार  किलोग्राम आयुध ले जाने में सक्षम है। यह तरल ईंधन वाले दो इंजनों से संचालित होती है। इसे सही पथ पर ले जाने के लिए एक उन्नत निर्देशित प्रणाली इसमें लगी है।  इसकी मारक क्षमता 350 किलोमीटर है। डीआरडीओ द्वारा विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल को पहले ही भारतीय सैन्य बलों में शामिल किया जा चुका है।  
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 सविनय अवज्ञा का क्या अर्थ है?
सविनय अवज्ञा का अभिप्राय सरकार की गलत नीतियों या कानून का विरोध करने के लिए सार्वजनिक रूप से सरकारी कानून का उल्लंघन करना है। कानून का उल्लंघन करने पर सरकार द्वारा जो दंड दिया जाता है उसे सहर्ष स्वीकार किया जाता है। इस प्रकार के विरोध में हिंसा का प्रयोग नहीं किया जाता है।

सविनय अवज्ञा का उद्देश्य सरकारी अन्याय के प्रति विरोध प्रकट करने के साथ-साथ जनमत तैयार करना है। इसका उद्देश्य सत्ताधारियों का ह्रद्य परिवर्तन करना भी है। लियो टाल्स्टाय, महात्मा गांधी तथा मार्टिन लूथर किंग ने इसे सिद्धांत रुप में विकसित कर इसे दार्शनिक स्वरुप प्रदान किया।
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एम्सटर्डम संधि
एम्सटर्डम संधि के ज़रिए यूरोपीय संघ का विस्तार पूर्वी क्षेत्र की तरफ़ करने की शुरूआत की गई। कुछ और देशों के वीटो अधिकार ख़त्म किए गए। रोजग़ार और भेदभाव पर क़ानून और सख़्त किए गए, माश्ट्रिश्ट संधि का सामाजिक नीति का अध्याय अब यूरोपीय संघ के क़ानून का हिस्सा बना दिया गया।

शेंगेन समझौता ने भी क़ानूनी रूप ले लिया हालांकि ब्रिटेन और आयरलैंड इससे अब भी बाहर रहे। इससे आव्रजन और शरण लेने के मुद्दों पर यूरोपीय संघ को और ज़्यादा कहने का अधिकार मिल गया।
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बाबिल
बाबिल आजकल के ईराक क्षेत्र की सुमेर के पश्चात दूसरी सभ्यता है। इस की भाषा सुमेर की भाषा से भिन्न थी। इसे बेबीलोनियन सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। बाबिल नगर जो इसी नाम के साम्राज्य की राजधानी था, आजकल के बगदाद से 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित था।
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