सामान्य ज्ञान
पृथ्वी की अतल गहराई की बनावट का पता अब तक नहीं लग पाया है। क्योंकि पृथ्वी के केंद्रीय भाग तक किसी यंत्र का भेजना तो अब तक संभव नहीं हुआ है। पृथ्वी के गर्भ से आने वाली भूकंपी तरंगों की सहायता से पृथ्वी के आंतरिक भाग का अध्ययन ठीक वैसे ही किया जा सकता है, जैसे चिकित्सा विज्ञान में अल्ट्रासाउंड, कैट स्कैनर एवं अन्य चिकित्सीय यंत्रों से शरीर के भीतरी भागों पर अध्ययन किया जाता है।
हाल के वर्षों में भूकंप-संवेदी उपकरणों में हुए अभूतपूर्व विकास ने इन तरंगों को रिकॉर्ड करने और इनके आधार पर पृथ्वी की अतल गहराइयों की संरचना को उकेर पाना संभव बना दिया है। अभी हाल ही में मेसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्रोलॉजी के वैज्ञानिकों द्वारा भूकंपी तरंगों की सहायता से उतारी गई पृथ्वी की भीतरी बनावट की तस्वीर साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुई है। ये तस्वीरें अत्यंत गहराई की हैं तथा इनका विस्तार एवं इनकी गुणवत्ता असाधारण हैं। कहा जा रहा है कि पृथ्वी के गर्भ को खंगालने वाली यह तकनीक भूकंप विज्ञान और गहराई के अध्ययन में जुड़ी अन्य विधाओं में नए युग का सूत्रपात करेगी।
दुनिया भर की एक हजार से अधिक वेधशालाओं द्वारा हजारों भूकंपों से मिले संकेतों को एकत्र कर वैज्ञानिकों ने इनका समग्र विश्लेषण कर इनकी तस्वीरें उतारीं। भूकंपीय तरंगों से मिलने वाली सूचनाएं धरती की भीतरी बनावट को समझने का सबसे शक्तिशाली जरिया बन गया है।