सामान्य ज्ञान
मोटापा, रक्त में कोलेस्ट्राल की अधिकता, मधुमेह। इन सभी रोगों के समूह को मेटाबोलिक सिंड्रोम का नाम दिया गया है। अनियमित खानपान, आरामतलब जीवनशैली इस सिंड्रोम का कारण है। हम जितना खाना खाते हैं यदि उसी के अनुसार कार्य नहीं करेंगे तो मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियां घेर लेंगी। इसके साथ ही दिल की बीमारी भी निशाना बना लेगी।
भारत में सबसे ज्यादा इसी सिंड्रोम के मरीज हैं। 35 साल की उम्र में अचानक हार्ट अटैैक से मौत होना ‘मेटाबोलिकली ओबीज’ के कारण ही है। तीन फीसदी लोग इस खतरनाक सिंड्रोम की चपेट में हैं। सामान्य भार वाले पांच फीसदी, सामान्य से ओवर वेट के बीच के 22 फीसदी और ओवर वेट वाले 60 फीसदी लोग मेटाबोलिक सिंड्रोम के शिकार हैं। इस सिंड्रोम के होने पर इंसुलिन रजिस्टेंस, उच्च रक्तचाप, लिपिड असंतुलन की आशंका बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए जीवन शैली बदलने की जरूरत है। इसके तहत शरीर का वजन कम करने के लिए उपाय करना जरूरी है।
तनावपूर्ण जीवनशैली, तेजी से चौड़ी होती कमर, मोटापा, धूम्रपान, तंबाकू अधिकतर रोगों की जड़ है। धूम्रपान, वसा युक्त भोजन और खाना बनाने वाले तेल-घी का दोबारा इस्तेमाल खून में कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ाते हैं। जो हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियों में जमता है और हार्ट अटैक का कारण बनता है। शरीर पर चर्बी चढऩे के साथ हृदयघात, मधुमेह, उच्च रक्त चाप का खतरा बढ़ता है लेकिन चर्बी चढऩे के साथ ही बीमारी से लडऩे की क्षमता ( इम्यून सिस्टम) भी कम होने लगती है। शरीर का भार लंबाई के अनुसार नियंत्रित रख कर इम्यून सिस्टम को ठीक रखा जा सकता है। स्ट्रोक, अचानक हृदय का कार्य करना बंद कर देना, आर्थराइटिस, स्लीप एप्निया, इंसुलिन रजिस्टेंस, दिल तेज गति से धडक़ना जैसी बीमारियां हो जाती हैं।