सामान्य ज्ञान

सतावर
24-Feb-2022 9:49 AM
सतावर

सतावर भारतीय जीवन पद्धति में शामिल एक ऐसा पौधा है जिसके गुणों को भारतीय माताएं अपने दूध के माध्यम से अपने शिशुओं में प्रविष्ट करा देती हैं । प्रसव के पश्चात दूध और खून बढ़ाने के लिए बनाए जाने वाले मेवे के लड्डुओं का सबसे प्रमुख घटक सतावर ही होती है ।

यह एक बहुवर्षीय आरोही लता है जो घरों या बगीचों में सुन्दरता हेतु भी लगाई जाती है । इसकी पूर्ण विकसित लता तीस फुट तक ऊंची हो सकती है । इसके पत्ते काफी पतले तथा सुईयों जैसे नुकीले होते हैं। इनमें छोटे -छोटे कांटे होते हैं। गर्मी में इस पौधे का ऊपरी भाग सूख जाता है तथा वर्षा ऋतु में नई शाखाएं निकल आती हैं। सितम्बर- अक्टूबर में सतावर में फूलों के गुच्छे लगते हैं जो बाद में मटर के दाने जैसे हरे फलों में परिवर्तित हो जाते हैं यही फल पक कर लाल रंग के हो जाते हैं जिनमें से बीज निकलते हैं।

सतावर की जड़ें औषधीय उपयोग में आती हैं । चर्म रोगों की यह प्रमुख दवा हैं। शारीरिक चोटों /दर्दों के निवारण में भी इनका उपयोग अति लाभकारी है । गठिया, पेट-दर्द ,पक्षाघात/अर्ध-पक्षाघात सर-दर्द,घुटने का दर्द ,पैर के तलवों में जलन ,गर्दन अकडऩा (स्टीफंस),साइटिका , हाथों में दर्द ,पेशाब संबन्धी रोग , आंतरिक चोट के अलावा शुक्र-वर्धन ,यौन -शक्ति बढ़ाने , महिलाओं के बांझपन के इलाज में, महिलाओं के विभिन्न प्रकार के यौनिदोषों के इलाज में ही नहीं बल्कि माताओं का दूध बढ़ाने के साथ साथ गाय -भैसों का दूध बढ़ाने में भी सतावर का उपयोग होता है। यह एक चमत्कारी औषधि है।

सतावर केवल चमत्कारी औषधि ही नहीं है यह एक चमत्कारी फसल भी है। अगर कोई व्यक्ति एक एकड़ में पचास हजार रूपये लगाकर सतावर की खेती करे तो वह डेढ़ से दो साल में कम से कम दो लाख रूपये तो कमा ही लेगा । पूरे भारतवर्ष की जलवायु और जमीन इसके लिए उपयुक्त है।

सतावर का वैज्ञानिक नाम है --एस्पेरेगस रेसीमोसस । अन्य किस्में हैं-- एस्पेरेगस सार्मेंतोसस ,एस्पेरेगस कुरिलास ,एस्पेरेगस गोनोक्लैदो एस्पेरेगस आफिसीनेलिस ,एस्पेरेगस फिनिसिलास , एस्पेरेगस स्प्रेंगेरी ,एस्पेरेगस एड्सेंदेस । संस्कृत भाषा में इसे शतावरी ,शतवीर्या ,बहुसुता ,अतिरासा एवं शतमूली भी कहा जाता है। फारसी में शकाकुल , अंगरेजी में एस्पेरेगुस , तमिल में किलावारी , बंगाली में शतमूली , मराठी और गुजराती में शतावरी , आसाम में हतामूली , सिन्धी में तिलोरा कन्नड़ में मज्जिगे गड्डे , तेलगू में चल्ला गड्डा आदि नामों से भी जाना जाता है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news