सामान्य ज्ञान
व्यास सम्मान साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला एक प्रमुख सम्मान है। प्रथम व्यास सम्मान 1991 में राम विलास शर्मा की कृति भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी, तीन खंड को (आलोचना) के लिए प्रदान किया गया था। व्यास सम्मान साहित्यकार की साहित्यिक रचना को दिया जाता है, न कि साहित्यकार को। व्यास सम्मान भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद दूसरा सबसे बड़ा साहित्य-सम्मान है।
व्यास सम्मान केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है। इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1991 में की गई थी। व्यास सम्मान चयनित वर्ष के प्रथम दस वर्षों में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ हिन्दी साहित्यिक कृति को दिया जाता है। पुरस्कार स्वरूप चयनित कृति के लेखक को ढाई लाख रुपए की नकद राशि प्रदान की जाती है।
डॉ. नरेन्द्र कोहली के उपन्यास ना भूतो ना भविष्यति को वर्ष 2012 के व्यास सम्मान के लिए चुना गया। यह 22वां व्यास सम्मान है। इनका चयन 22 फरवरी 2013 को किया गया। वर्ष 2011 का व्यास सम्मान (21वां) प्रो. रामदरश मिश्र के काव्य संग्रह आम के पत्ते को दिया गया।
22वें व्यास सम्मान का चयन लखनऊ विश्वविद्यालय में हिन्दी के विभागाध्यक्ष और लेखक प्रो. सूर्य प्रकाश दीक्षित की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने किया। उपन्यास ना भूतो ना भविष्यति वर्ष 2004 में प्रकाशित हुआ था।
व्यास सम्मान पाने वाले साहित्यकारों में डॉ. शिव प्रसाद सिंह (नीला चांद), गिरजा कुमार माथुर (मैं वक्त के हूं सामने), डॉ. धर्मवीर भारती (सपना अभी भी), कुंवर नारायण (कोई दूसरा नहीं), श्रीलाल शुक्ल (बिसरामपुर का संत), गिरिराज किशोर (पहला गिरमिटिया), मृदुला गर्ग (कठगुलाब), मन्नू भंडारी (एक कहानी यह भी), अमर कांत (इन्हीं हथियारों से) प्रो. रामदरश मिश्र (काव्य संग्रह आम के पत्ते ) आदि प्रमुख हैं।