सामान्य ज्ञान

क्या -क्या होता है भारतीय बजट में
27-Feb-2022 12:30 PM
क्या -क्या होता है भारतीय बजट में

पहली अप्रैल से शुरू वित्त वर्ष के लिए केन्द्र सरकार का आय और व्यय सम्बंधी व्यापक विवरण का मापन करते हुए तथा व्यय के लिए धन प्राप्त करने के तरीके का उल्लेख करते हुए फरवरी माह के अंतिम दिन यानि 28 फरवरी को केन्द्रीय बजट की पेश किया जाता है।

भारत में इस परम्परा का अनुसरण साम्राज्यवादी युग से किया गया है, जब तत्कालीन वित्त मंत्री शाम के पांच बजे बजट पेश करते थे। इसके स्थान पर, अब इसे सुबह 11 बजे प्रस्तुत किया जाता है और लोकसभा में व्यापक तौर पर बजट के लिए प्रक्रियाओं और इसकी प्रस्तुति के लिए प्रश्नकाल सहित सदन के अन्य कार्य भी किये जाते हैं। इस वर्ष केन्द्रीय वित्त मंत्री  अरूण जेटली शनिवार को वित्त वर्ष 2015-16 के लिए अपना पहला सम्पूर्ण बजट पेश करेंगे, क्योंकि पिछली जुलाई में संसद में उन्होंने अपना पहला बजट पेश किया था जो केवल आठ माह की अवधि के लिए ही था। 

संविधान की धारा 112 के अधीन अनुमानित आय और व्यय का एक विवरण जिसे सामान्य तौर पर बजट वक्तव्य कहा जाता है, प्रत्येक वित्त वर्ष यानि पहली अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक संसद में पेश करना होता है। बजट भाषण में भारत की एकीकृत निधि से व्यय के अनुमान शामिल होते हैं, जिस पर निचले सदन (लोकसभा) द्वारा मतदान होना आवश्यक है। इसे सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के अनुदान मांगों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। प्रत्येक मांग में राजस्व व्यय, पूंजीगत व्यय, राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए अनुदान और उन सेवाओं के लिए ऋणों और अग्रिम राशियों से संबंधित प्रावधान शामिल होते हैं। अनुदान मांगों में कुल धनराशि के लिए अनुमानित व्यय शामिल हैं।

 राजस्व बजट दस्तावेज में वार्षिक वित्तीय वक्तव्य में शामिल राजस्व प्राप्तियों के अनुमानों का और भी अधिक विश्लेषण किया जाता है। केन्द्र सरकार की राजस्व प्राप्तियों में सकल कर राजस्व और गैर-कर राजस्व शामिल हैं। कर राजस्व में कार्पोरेशन कर, कार्पोरेशन कर को छोडक़र आय पर कर और प्रत्यक्ष करों में शामिल अन्य कर निहित हैं। अप्रत्यक्ष करों में सीमा शुल्क (आयात), केन्द्रीय उत्पाद कर, सेवा कर और अन्य कर शामिल हैं। गैर-कर राजस्व में ब्याज प्राप्तियां, सार्वजनिक उपक्रमों का लाभांश, अन्य गैर-कर राजस्व और केन्द्रशासित प्रदेशों की प्राप्तियां शामिल हैं। पूंजीगत प्राप्तियों में ऋणों और अग्रिम राशियों की वसूली, बाजार ऋणों ं को छोडक़र ऋण  प्राप्तियां, लघुकालिक ऋण, बाहरी सहायता (सकल), लघु बचत योजनाओं, राज्य भविष्य निधि और अन्य प्राप्तियों के लिए जारी प्रतिभूतियां शामिल हैं, जबकि गैर-ऋण प्राप्तियों में ऋणों और अग्रिम राशियों की वसूली, विनिवेश प्राप्तियां और नीलामी (विक्रय) से प्राप्त राजस्व शामिल हैं।

बजट दस्तावेज में व्यय पर दो अलग पुस्तिकाएं भी शामिल हैं और पहली पुस्तिका में प्रत्येक शीर्ष के लिए राजस्व और पूंजी भुगतान तथा योजना व्यय का उल्लेख किया जाता है। दूसरी पुस्तिका में अनुदान मांगों में व्यय प्रस्ताव संबंधी परिदृश्य शामिल किए जाते हैं।

बजट प्रस्तावों को स्पष्ट करने के लिए राजस्व और व्यय संबंधी घटकों के अलावा यह एक वित्त विधेयक भी है। संविधान की धारा 110 (1) (ए) के अनुसरण में इसे पेश किया जाता है। इसके साथ इसमें शामिल प्रावधानों की व्याख्या करते हुए मेमोरेंडम नामक एक पुस्तिका भी इसके साथ होती है। इस पुस्तिका से उपयोगी जानकारी मिलती है और वित्त विधेयक में शामिल कर प्रस्तावों से संबंधित विवरणों का भी पता चलता है। मुख्य कागजातों के साथ वित्त मंत्रालय बजट की मुख्य विशेषताएं नामक दस्तावेज भी उपलब्ध कराता है।

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