सामान्य ज्ञान
कुमट एक प्रकार का पेड़ होता है जिसे मुख्य रूप से गोंद के लिए उठाया जाता है। भारत में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा के शुष्क क्षेत्रों कुमट (अकेशिया सेनेगल) पेड़ों की खेती बहुतायत से की जाती है। एक पेड़ से लगभग आधा से पौन किलो गोंद प्राप्त होती है । कुमट के पेड़ों पर फल के रूप में फलियां लगती हैं तथा एक पेड़ से दो से सात किलोग्राम फलियां मिल जाती हैं । ये फलियां 50 से 80 रूपये किलो के भाव से बाजार में बिक जाती है । फलियों के अंदर के बीज राजस्थान की मशहूर पंचकूटे की लजीज सब्जी में इस्तेमाल होते हैं। पेड़ की पत्तियां बकरियां चारे की रूप में खाती हैं । एक प्रकार से साल भर में कुमट के पेड़ों से 50 हजार रूपये की आय हो जाती है।
राजस्थान में बाड़़मेर जिले के रेगिस्तानी क्षेत्र में कुमट के पेड़ किसानों के लिये अतिरिक्त आय का बढिय़ा जरिया बन गये हैं । कुमट पेड़ों के गोंद का प्रयोग कई उद्योगों में किया जाता है। जिसके कारण इसकी भारी मांग रहती है। कुमट के पेड़ों से प्राप्त होने वाले इस गोंद का प्रयोग केवल औषधि के रूप में ही नहीं किया जाता है। बल्कि यह गोंद औषधि उद्योगों के अतिरिक्त, कपडा, कागज, चर्वण, सौन्दर्य सामग्री, खाद्य पदार्थ इत्यादि उद्योगों में प्रचुर मात्रा में उपयोग किया जाता है। उद्योगों में गोंद का उपयोग होने के कारण प्रतिवर्ष भारी मात्रा में इसका आयात करना पड़ता है क्योंकि खपत के मुकाबले भारत में इसका उत्पादन नही किया जा रहा है।
वर्तमान में प्राकृतिक रुप से इन पेड़ों से प्राप्त होने वाले गोंद की मात्रा काफी कम होती है। इसी के चलते कुमट के पेड़ों से अधिक मात्रा में गोंद प्राप्त करने के लिए जोधपुर में स्थित केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने नई तकनीक विकसित की है।