सामान्य ज्ञान
सुमेर सभ्यता, बाबिल काल से पहले का युग (3500 -2600 ईपू) है जिसकी भाषा अपनी थी। सुमेर के भारत के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे। सुमेरी लोग पूर्व को अपना उद्गम मानते थे। यह थी सुमेरी सभ्यता।
सुमेरी सभ्यता सबसे पुरानी है, जिसका समय ईसा से 3500 वर्ष पूर्व माना जाता है। प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता लैंगडन के अनुसार मोहन जोदड़ो की लिपि और मुहरें, सुमेरी लिपि और मुहरों से मिलती हैं। सुमेर के प्राचीन शहर ऊर में भारत में चूने-मिट्टी के बने बर्तन पाए गए हैं। मोहन जोदड़ो की सांड की मूर्ति सुमेर के पवित्र वृषभ से मिलती है और हड़प्पा में मिले सिंगारदान की बनावट ऊर में मिले सिंगारदान जैसी है। इन सबके आधार पर कहा जा सकता है कि सुमेर और भारत में बड़े पुराने सम्बन्ध थे। सुमेर शब्द भी हमें पौराणिक पर्वत सुमेरु की याद दिलाता है।
संसार की सबसे पुरानी लिपि का जन्म सुमेर में ही हुआ। गीली मिट्टी की पटिया पर कील जैसे औज़ार से गोद कर लिखी जाने वाली इस लिपि को कीलाक्षर लिपि कहते हैं। इस लिपि में संसार के सबसे पुराने व्यापारिक खाते बनाए गए और खातों में दुहरी प्रविष्टि या डबल एंट्री व्यवस्था का प्रयोग हुआ, जो आज तक प्रचलित है। इसी लिपि में प्राचीन कैलेंडर का भी निर्माण हुआ।
बैंकिंग प्रणाली का जन्म मेसोपोटामिया में ही हुआ था। जिस स्थान पर ईसा से लगभग 37 वर्ष पहले मनुष्य ने पहिए का आविष्कार किया था, वह यही था। मेसोपोटामिया में हज़ारों वर्ष पहले महाकाव्य रचने की प्रवृत्ति ने जन्म लिया था और यहीं गिलगमेश का महाकाव्य रचा गया था। राजा गिलगमेश के इस कीर्ति ग्रन्थ में इसी प्रकार के जल-प्लावन का भी उल्लेख है। सुमेरी सभ्यता के पतन के बाद इस क्षेत्र में जो बाबुली या बैबिलोनियन सभ्यता विकसित हुई, उसके प्रसिद्ध सम्राट हम्मुराबी ने अत्यन्त प्राचीन क़ानून और दंड संहिता बनाई। इसी वंश के नेबूशदनजऱ ने फ़ुरात नदी के पूर्वी किनारे पर, संसार के सात आश्चर्यों में से एक, बाबुल के झूलते बाग़ बनवाये थे, जिनमें नीची ज़मीन से ऊंचाई पर बने बाग़ों में सिंचाई की अद्भुत व्यवस्था की गई थी। यहूदियों के पवित्रतम तीर्थ सुलेमान के मन्दिर को इसी ने ईसा पूर्व 586 में तोड़ा था और यरोशलम नगर को ध्वस्त किया था।