सामान्य ज्ञान
बृहस्पति के गैलीलीयन चन्द्रमाओं से अंदर की ओर 4 छोटे चन्द्रमा हंै जिनके नाम हैं- मेटीस,आद्रस्टीआ,अमाल्थीआ और थेबे।
मेटीस- बृहस्पति का सबसे अंदरूनी ज्ञात उपग्रह है। ग्रीक कथाओं के अनुसार मेटीस ज़ीउस (बृहस्पति) की पहली पत्नी थी। इसकी खोज 1979 में सीन्नाट वायेजर की तस्वीरों से की थी। मेटीस और आद्रस्टीआ बृहस्पति के मुख्य वलय के अंदर है, शायद ये वलय के पदार्थ का श्रोत हो सकते है। ग्रह के वलय के छोटे उपग्रहो को मूम भी कहा जाता है।
आद्रस्थीआ- बृहस्पति का दूसरा ज्ञात चन्द्रमा है। मिथकों में आद्रस्टीआ पुरस्कार और दंड देने वाली देवी के नाम पर है जो जियस और अनाके के बेटी थी। इसकी खोज एक स्नातक विद्यार्थी डेवीड जेवीट ने 1979में वायेजर 1 की तस्वीरों से की थी। मेटीस और आद्रस्टीआ दोनो समकालिक कक्षा के अंदर तथा रोच सीमा के अंदर हैं। दोनों इतने छोटे हंै कि इन पर ज्वारीय खिंचाव का असर नहीं होता है लेकिन इनकी कक्षा छोटी होती जाएगी। आद्रस्टीआ सौर मंडल के सबसे छोटे चन्द्रमाओं में से एक है।
अमाल्थीआ- बृहस्पति का तीसरा ज्ञात उपग्रह है। मिथकों के अनुसार अमाल्थीआ एक दाई थी जिससे जिअस को बकरी का दूध पिलाकर बड़ा किया था। इसकी खोज बर्नाड ने 9 सितंबर 1892 मे अपनी लीक प्रयोगशाला मे 16 इंच की दूरबीन से किया था। यह सीधे निगाहों से खोजा जाने वाला अंतिम उपग्रह था। अमाल्थीआ तथा हीमालीया जो बृहस्पति के पांचवे और छठे सबसे बड़े चन्द्रमा हैं और लगभग समान आकार के हं,ै लेकिन चौथे बड़े चन्द्रमा युरोपा के आकार के 1/15 गुना ही है।
अमाल्थीआ सौर मंडल में सबसे ज्यादा लाल है जो आयो से उत्सर्जित गंधक के कारण है। बृहस्पति के अधिकतर चन्द्रमाओं के जैसे यह भी समकालिक कक्षा में परिक्रमा करता है। पहले के अनुमानों से ऐसा लगता था कि अपने आकार और अव्यवस्थित आकार के कारण अमाल्थीआ मजबूत ठोस पिंड होगा। लेकिन गैलीलीयो के आंकड़ों के अनुसार इसका घनत्व पानी के घनत्व के बराबर है। यह बर्फ का बना नहीं है जिससे लगता है कि यह एक फुसफुसा ढेर है।
थेबे- बृहस्पति का चौथा ज्ञात उपग्रह है। मिथकों में थेबे को नदियों के के देवता असोपस की बेटी बताया गया है। इसकी खोज 1979 में सीन्नाट वायेजर की तस्वीरों से की थी। इसके ऊपरी सतह पर तीन/चार बड़े क्रेटर हंै।