सामान्य ज्ञान
नई दिल्ली में स्थित संसद ग्रंथालय, भारत में पुस्तकों के सबसे समृद्ध भण्डारों में से एक है, जो भारतीय विधायिका के सदस्यों की सहायता के लिए 1921 में स्थापित किया गया था। यहां पर शोध और संदर्भ शाखा भी स्थापित की गई जिसने शुरू में संसद ग्रंथालय से स्वतंत्र रूप में कार्य किया था।
पिछले चार दशकों के दौरान, ग्रंथालय तथा संसद सदस्यों की शोध और संदर्भ सेवाएं धीरे-धीरे विकसित हुई हैं, जिसे अब संसद ग्रंथालय तथा संदर्भ, शोध, प्रलेखन और सूचना सेवा लार्डिस के नाम से जाना जाता है। हालांकि संसद ग्रंथालय तथा संदर्भ, शोध, प्रलेखन और सूचना सेवा (लार्डिस) लोक सभा सचिवालय के प्रशासनिक तंत्र का एक भाग है परंतु यह संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को सेवा उपलब्ध कराती है।
संसद ग्रंथालय के वर्तमान संकलन में मुद्रित पुस्तकों, प्रतिवेदनों, सरकारी प्रकाशनों, संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिवेदनों, वाद-विवादों, राजपत्रों, अन्य अभिलेखों, जिसमें लोक सभा सचिवालय द्वारा प्रकाशित किए जाने वाले पत्र और प्रकाशन शामिल हैं, की संख्या लगभग 1.27 मिलियन है। संसद ग्रंथालय में 150 भारतीय तथा विदेशी समाचार-पत्र और अंग्रेजी, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं की 587 पत्र-पत्रिकाएं नियमित रूप से आती हैं।
ग्रंथालय अनुभाग द्वारा प्रति माह संसद ग्रंथालय बुलेटिन (पार्लियामेंट लाइब्रेरी बुलेटिन) नामक एक प्रकाशन निकाला जाता है जिसमें संसद ग्रंथालय में आई नई पुस्तकों का सूचीगत विवरण होता है। इसके अलावा इसमें संसद ग्रंथालय में आने वाले शिष्टमंडलों/विशिष्ट व्यक्तियों के दौरों जैसे विभिन्न कार्यकलापों और घटनाओं, और लार्डिस के नवीनतम प्रकाशनों, पृष्ठकाओं तथा सूचना बुलेटिन की भी जानकारी दी जाती है।
चूंकि संसद का मुख्य ग्रंथालय मुख्यत: दोनों सभाओं के सदस्यों के उपयोग के लिए है, इसलिए संसदीय कर्मचारीवृन्द के लिए एक पृथक स्टाफ लाइब्रेरी नए संसदीय ग्रंथालय भवन में कार्य कर रही है। इसमें लगभग 26 हजार पुस्तकें हैं। वर्तमान में, राज्य सभा सचिवालय और लोक सभा सचिवालय के लगभग 3100 कर्मचारी इसके सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त, इसके सदस्यों के लिए 14 समाचार पत्रों और 20 पत्रिकाओं की नियमित रूप से खरीद की जाती है।