सामान्य ज्ञान
कढ़ी पत्ते में ढेरों औषधीय गुण होते हैं। भारतीय भोजन में इसका प्रयोग सदियों से हो रहा है। आमतौर पर सुगंध और सजावट के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कढ़ी पत्ते का पेड़ (मुराया कोएनिजी, अन्य नाम- बर्गेरा कोएनिजी, चल्कास कोएनिजी उष्णकटिबंधीय तथा उप-उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाया जाने वाला रुतासी परिवार का एक पेड़ है, जो मूलत: भारत का देशज है। अक्सर रसेदार व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले इसके पत्तों को कढ़ी पत्ता कहते हैं। कुछ लोग इसे मीठी नीम की पत्तियां भी कहते हैं। इसके तमिल नाम का अर्थ है, वो पत्तियां जिनका इस्तेमाल रसेदार व्यंजनों में होता ह । कन्नड़ भाषा में इसका शब्दार्थ निकलता है - काला नीम , क्योंकि इसकी पत्तियां देखने में कड़वे नीम की पत्तियों से मिलती-जुलती हैं। लेकिन इस कढ़ी पत्ते के पेड़ का नीम के पेड़ से कोई संबंध नहीं है। असल में कढ़ी पत्ता, तेज पत्ता या तुलसी के पत्तों, जो भूमध्यसागर में मिलनेवाली ख़ुशबूदार पत्तियां हैं, से बहुत अलग है।
एक शोध के मुताबिक प्रति सौ ग्राम कढ़ी पत्ते में 66.3 प्रतिशत नमी, 6.1 प्रतिशत प्रोटीन, एक प्रतिशत वसा, 16 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 6.4 प्रतिशत फाइबर और 4.2 प्रतिशत मिनरल पाया जाता है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और विटामिन सी पाया जाता है। यह पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है।