सामान्य ज्ञान
ओस्टियोपोरोसिस एक अस्थि रोग है। इसमें हड्डियां पतली हो जाती हैं। अपना बल खो देती हैं और उनके टूटने की सम्भावना बढ़ जाती है। आस्टियोपोरोसिस नामक खतरनाक बीमारी को खामोश बीमारी के नाम से भी जाना जाता है, यानी कि साइलेंट किलर।
ये बीमारी हड्डियों से संबंधित है। इस बीमारी का सबसे बड़ा नुकसान है कि जब तक हड्डिया मुलायम होकर टूटने नहीं लगती, तब तक इसके लक्षणों का पता लगाना मुश्किल होता है। इसीलिए इसको साइलेंट किलर यानी खामोश बीमारी कहा जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस कई अन्य बीमारियों से मेल खाती है लेकिन इसकी पहचान हो पाना फिर भी मुश्किल होता है। आइए जानें साइलेंट बीमारी आस्टियोपोरोसिस के बारे में।
ओस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त लोगों में हड्डी टूटने के जोखिम ज्यादा होते हैं। उनकी हड्डियां रोज के कामों में टूट सकती है जैसे मुडऩा या खांसना। ओस्टियोपोरोसिस आर्थराइटिस का रूप नहीं है पर यह जो हड्डियां तोड़ता है, उसकी वजह से आर्थराइटिस हो सकता है।
यूनाइटिड स्टेटस में ओस्टियोपोरोसिस कि वजह से 2 मिलियन से ज्यादा फ्रेकचर हर साल होते हैं। यह पुरूषों कि अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा आम है क्योंकि इनमें रजोनिवृत्ति के वक्त हार्मोन में बदलाव आते हैं। ओस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त लोगों में सबसे ज्यादा कलाई, कूल्हे और रीढ़ कि हड्डी टूटती है। कूल्हे और रीढ़ की हड्डी का टूटना सबसे ज्यादा 70 साल के दशक में जी रहे लोगों में होता है पर जवान उम्रमें दूसरी जगह कि भी हड्डी टूट सकती है।