सामान्य ज्ञान
शुंग वंश मौर्य वंश के पश्चात का राजवंश हैं। हर्षचरित और पुराणों से पता चलता है कि सेनापति पुष्यमित्र ने अपने अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या कर शुंग वंश की स्थापना की। पुष्यमित्र का साम्राज्य दक्षिण में नर्मदा तक फैला हुआ था तथा विदिशा उसके राज्य का एक प्रमुख नगर था। मालविकाग्निमित्रम’ के अनुसार पुष्यमित्र वे शासन काल में उसका पुत्र अग्निमित्र विदिशा में गोप्तु (उपराजा) के रुप में शासन का संचालन करता था। अग्निमित्र ने विदर्भ के शासक यज्ञसेन के साथ युद्ध करके विदर्भ के एक बड़े हिस्से पर अधिकार कर लिया।
सन् 48 ई. पू. में पुष्यमित्र की मृत्यु हो गयी। पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार इस वंश में कुल 10 शासक हुए - पुष्यमित्र,अग्निमित्र, वसुज्येष्ठ ,वसुमित्र, अंध्रक (ओद्रक), पुलिद्वक, घोष, वज्रमित्र, भागभद्र और, देवभूति।
इन सबने मिलकर 112 वर्ष तक राज्य किया ।अग्निमित्र के उत्तराधिकारियों के संबंध में विशेष रुप से कुछ ज्ञात नहीं है। पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर पांचवें शासक ओद्रक (अंधक) व नौंवे शासक भागभद्र के विदिशा में राजनीतिक गतिविधियों का साक्ष्य मिलता है। कहा जाता है कि नौवें शासक भागभद्र का संबंध विदिशा स्थित गरुड़ स्तंभ से है, जिसे स्थानीय लोग खानबाबा (खम्भबाबा) के नाम से पुकारते है। यहां उत्कीर्ण लेख के अनुसार यूनानी शासक अंतलिकित ने अपने राजदूत हेलियोदोरस को भारतीय नरेश भागभ्रद की राजसभा में राजदूत के रुप में भेजा था। विदिशा में रहते हुए हेलियोदोरस भागवत धर्म का अनुयायी बन गया तथा विष्णु मंदिर के सम्मुख एक गरुड़- स्तंभ का निर्माण करवाया।
पुराणों के अनुसार अंतिम राजा देवभूमि अति कामुक था। उसके अमात्य कण्ववंशीय वसुदेव ने उसकी हत्या कर कण्व वंश की स्थापना की।