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भारत में शक वंश:महत्वपूर्ण तथ्य
20-Mar-2022 11:30 AM
भारत में शक वंश:महत्वपूर्ण तथ्य

1. भारत में  यूनानियों के बाद शक आए।

2. शकों की पांच शाखाएं थीं और हर शाखा की राजधानी भारत में अफगानिस्तान में अलग-अलग भागों में थी।

3. पहली शाखा ने अफगानिस्तान, दूसरी शाखा ने पंजाब राजधानी तक्षशिला, तीसरी शाखा ने मथुरा, चौथी शाखा ने पश्चिम भारत एवं पांचवीं शाखा ने ऊपरी दक्कन पर प्रभुत्व स्थापित किया।

4. शक मूलत: मध्य एशिया के निवासी थे।

5. चरागाह की खोज में शक भारत आए।

6, 58 ई.पू. में उज्जैन के एक स्थानीय राजा ने शकों को पराजित करके बाहर खदेड़ दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।

7. शकों पर विजय के उपलक्ष्य में 57 ई. पू. से एक नया संवत्ï- बिक्रम संवत्ï के नाम से प्रारंभ हुआ। उसी समय से विक्रमादित्य एक लोकप्रिय उपाधि बन गयी, जिसकी संख्या भारतीय इतिहास में 14 तक पहुंच गयी। गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय सबसे अधिक विख्यात विक्रमादित्य था।

8. शकों की अन्य शाखाओं की तुलना में दक्षिण भारत में प्रभुत्व स्थापित करने वाली शाखा ने सबसे लम्बे अरसे तक शासन किया लगभग चार शताब्दी तक।

9. गुजरात में चल रहे समुद्री व्यापार  से यह शाखा काफी लाभान्वित हुई और भारी संख्या में चांदी के सिक्के जारी किए।

10. शकों का सबसे प्रतापी शासक रुद्रदामन प्रथम 130-150 ई.पू. था, जिसका शासन गुजरात के बड़े भाग पर था।

11. रुद्रदामन प्रथम ने काठियावाड़ की अर्धशुष्क सुदर्शन झील (मौर्याे द्वारा निर्मित) का जीर्णोद्धार किया.

12.रुद्रदामन संस्कृत का बड़ा प्रेमी था. उसने ही सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा में लंबा अभिलेख जारी किया. इसके पहले के सभी अभिलेख प्राकृत भाषा में रचित थे.

13. भारत में शक राजा अपने को क्षत्रप कहते थे।

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