सामान्य ज्ञान
23 मार्च सन 1956 ईसवी को पाकिस्तान में नया संविधान तैयार किया गया। जिसके अनुसार इस देश की सरकार प्रजातांत्रिक हो गई। सन 1948 ईसवी में मोहम्मद अली जेनाह की मृत्यु के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली ख़ान मारे गये जिसके बाद पाकिस्तानी समाज में राजनैतिक तनाव फैल गया और एक नये संविधान की रचना का कारण बना। भारत और पाकिस्तान एक दिन के आगे-पीछे स्वतंत्र हुए था। भारत में 1950 में ही नया संविधान लागू हो गया, लेकिन पाकिस्तान में नया संविधान लागू होने में काफी वक्त लग गया।
दरअसल आजादी के समय भारत की तरह पाकिस्तान के पास भी अंग्रेजी शासन का बनाया हुआ एक कामचलाऊ संविधान या नियमावली मौजूद था। वह था गवर्मेंट आफ इंडिया एक्ट 1935। इस कानून के अंतर्गत देश के उच्चतम अधिकारी, गवर्नर जनरल को चुनाव कराने से लेकर काउंसिल आफ मिनिस्टर (मंत्री परिषद) बनाने, मनोनीत करने का अधिकार था। इसी के साथ 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश शासन ने एक और विशेष कानून बनाकर 1946 के चुनाव के आधार पर पाकिस्तान के लिए विशेष सांविधानिक असेंबली बनाई, जिसने मुहम्मद अली जिन्ना को अपना नेता और पाकिस्तान का पहला गवर्नर जनरल चुना और उन्हें ही 1935 के कानून के अंतर्गत मंत्रिमंडल बनाने का विशेष अधिकार दिया।
गवर्नर जनरल का पद संभालने के बाद मुहम्मद अली जिन्ना ने लियाकत अली खां के नेतृत्व में 1935 के कानून के अंतर्गत काबीना गठन कराया और इस प्रकार लियाकत अली खां पहले प्रधानमंत्री नियुक्त हुए। लेकिन उनकी नियुक्ति भी पाकिस्तानी काूनन या संविधान के अनुसार नहीं थी, लेकिन प्रधानमंत्री बनते प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का संविधान बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने 1952 तक दो रिपोर्ट प्रशासन को दी, जिसके अनुसार हर पांच साल के बाद बालिग अधिकार होना तय हुआ। इसके अलावा देश में एक केंद्रीय और राज्यों के अलग असेंबलियों के गठन की सिफारिश की गई। लेकिन कमेटी के पंजाबी सदस्यों को ऐसा लगा कि बालिग मताधिकार होने पर बहुसंख्यक बंगाली बाजी मार लेंगे और वे पंजाबी जमींदारों, जागीरदारों के लिए परेशानी पैदा करेंगे। फिर भी जैसे-तैसे 1956 में संविधान बनकर तैयार हुआ। उसे लागू करने की जरूरत थी।
वर्ष 1956 में गवर्नर जनरल के पद पर थे, सुरक्षा सेके्रट्री जनरल स्कंदर मिर्जा, जो संविधान को लागू करने के पक्ष में नहीं थे। उससे उनकी कुर्सी खिसक जाती। इसलिए उन्होंने जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू कर दी। नतीजे में पाकिस्तान एक गहरे संकट में डूबता गया। इसे उबारने के लिए 1958 में जनरल अय्यूब खां ने पाकिस्तान में पहली फौजी तानाशाही स्थापित की। जनरल अय्यूब खां ने 1962 में अपना एक अलग से संविधान बनवाया और उसी के अंतर्गत राष्ट्रपति का पद हथिया लिया। खां साहब के जाने के बाद जनरल याह्या खां ने राष्ट्रपति का पद संभाला और एक लीगल फे्रमवर्क के अंतर्गत शासन चलाने लगे। याह्या खां ने 1970 में बालिग अधिकार कराया, जिससे पूर्वी पाकिस्तान में अवामी नेशनल पार्टी के शेख मुजीबुर्रहमान को भारी बहुमत प्राप्त हुआ। उधर दूसरे मुकाम पर रहे जुल्फिकार अली भुट्टो ही शासन हथियाना चाहते थे। 1970 के चुनाव के बाद 1971 तक खूनी हंगामा चला। सिंधु नदी और बंगाल की खाड़ी में ढेरों पानी बहा और पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए। पश्चिमी भाग भुट्टो को मिला और वही पाकिस्तान कहलाया। पूर्वी भाग बांग्लादेश बना। जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1972 में नया संविधान बनाया जो आज तक जारी है। इस संविधान में भी फौजी शासक जियाउलहक और जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपने हित के लिए छेडख़ानी की, लेकिन उसी संविधान के अंतर्गत 2008 में चुनाव हुए और पीपुल्स पार्टी की हुकूमत बनी, जिसे कुछ दूसरे दलों का सहयोग प्राप्त है।