सामान्य ज्ञान
तपेदिक, क्षयरोग , एमटीबी या टीबी एक आम, और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं।
यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। ॉ ज्यादातर संक्रमण स्पर्शोन्मुख और भीतरी होते हैं, लेकिन दस में से एक भीतरी संक्रमण, अंतत: सक्रिय रोग में बदल जाते हैं, जिनको अगर बिना उपचार किये छोड़ दिया जाए तो ऐसे संक्रमित लोगों में से 50 प्रतिशत से अधिक की मृत्यु हो जाती है। टीबी इन्फेक्शन शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। एब्डॉमन, किडनी, स्पाइन, ब्रेन या शरीर के किसी भी अंग की हड्डी में टीबी होना आम हो गया है। इतना ही नहीं, सिर्फ साफ-सफाई न रखना या बीड़ी आदि पीना ही टीबी इन्फेक्शन का कारण नहीं है। आजकल पौष्टिकता की कमी, लंबे समय तक जंक फूड के इस्तेमाल, मीजल्स या न्यूमोनिया के बिगडऩे और एचआईवी पॉजिटिव होने से भी टीबी इन्फेक्शन के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में, यह सोचकर लापरवाही बरतना गलत है कि यह बीमारी सिर्फ गरीबों को होती है।
टीबी को आम तौर पर बीते जमाने की बीमारी के तौर पर देखा जाता है. लेकिन पिछले एक दशक में बढ़ रहे ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मामलों ने खतरे की घंटी बजा दी है। इस समय दुनिया भर में एड्स के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा मौतें टीबी से हो रही हैं। वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार सत्तासी लाख लोग टीबी की चपेट में आए जिनमें से चौदह लाख की मौत हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि 2015 तक बीस लाख लोगों के ड्रग रेसिस्टेंट क्षमता वाले टीबी की चपेट में आने का खतरा है। इस समय ऐसे मरीजों की संख्या करीब साढ़े छह लाख आंकी जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हाल फिलहाल विश्व में ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के 4 फीसदी नए मामले सामने आए है। यानी इसका संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में विश्व भर में फैल रहा है।