सामान्य ज्ञान
भारतीय संस्कृति में नाटी एक समृद्ध नृत्य परंपरा है। यह मेलों तथा त्योहारों पर किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय और मशहूर नृत्य है।
नाटी नृत्य हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, सिरमौर, शिमला इत्यादि जनपदों में किया जाता है। इसे धीमी गति से आरम्भ किया जाता है, जिसे करते समय इसे ढीली नाटी कहा जाता है व बाद में यह द्रुत गति से बढ़ता जाता है। इस नृत्य में ढोलक, करनाल, रणसिंघा, बांसुरी, शहनाई एवं नगाड़े का प्रयोग किया जाता है। इस नृत्य में महिलाएं घर आंगन में लिपाई कर नृत्य करते हुए खुशी का इजहार करती हैं।
नाटी नृत्य के कई प्रकार हैं। जिस प्रकार छंद-अलंकार के 9 गुण होते हैं, उसी प्रकार से नाटी नृत्य में भी 9 प्रकार के ताल हैं। इस नृत्य में स्वच्छंदता व व्यवस्था है व उन्मुक्त भाव भी है। ऐसी स्वभाविकता जनसमुदाय में प्रवाह है। खडय़ातर नाटी में वीरता का भाव है। यह नृत्य धीमी गति से शुरू होकर तेज़ नृत्य के साथ खत्म होती हैं। नाटी नृत्य के कई प्रकार हैं जिनमें मुख्य इस प्रकार हैं- ताउली,फेटी नाटी,बाखली नाटी,बुशहरी नाटी, बांठड़ा, हौरन और चद्रांउली।