सामान्य ज्ञान
भारत में वर्ष 1972 में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 40 लीटर पानी देने का मानक तय किया गया था परंतु अब 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत इसे बढ़ाकर 40 लीटर से 55 लीटर कर दिया गया है।
12 वीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य परिवारों को उनके घर में अथवा 100 मीटर के व्यास के भीतर कम से कम आधी आबादी को 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी उपलब्ध कराने के दायरे में लाने का है। एक बार राज्य प्रति व्यक्ति पेयजल उपलब्धता बढ़ाने की योग्यता पा लेते हैं तो यह कुछ हद तक गांवों और शहरों के बीच के अंतर को पाटने का काम करेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत राज्यों के पास अपने जलापूर्ति मानक निर्धारित करने का लचीलापन है।
देश में अभी दो हजार विषाक्त और 12 हजार फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण आवास है जिसके कारण 2013-14 के लिए प्रस्तावित बजट में 1400 करोड़ रूपये उपलब्ध कराने का प्रावधान जल शुद्धिकरण की परियोजनाएं स्थापित करने के लिए किया गया है।
हमारे देश के गांवों में रहने वाले एक लाख से अधिक घरों में रहने वाले पांच करोड़ से भी अधिक लोगों के पास आज भी स्वच्छ पेयजल की सुविधा नहीं है। अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कम से कम 22 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को पानी लाने के लिए आधा किलोमीटर और उसे भी अधिक दूर पैदल चलना पड़ता है(इसमें अधिकतर बोझ महिलाओं को ढोना पड़ता है)। ऐसे परिवारों का अधिकतर प्रतिशत भाग मणिपुर, त्रिपुरा, ओड़ीशा झारखण्ड, मध्यप्रदेश और मेघालय में है।