सामान्य ज्ञान
कृष्णाट्टम नृत्य अथवा कृष्णाअट्टम नृत्य केरल की एक शास्त्रीय नृत्य नाटिका शैली है। इसमें कृष्ण की पूरी कहानी एक नाटक चक्र में दिखाई जाती है, जिसके निर्माण में आठ रातें लगती हैं। इस नृत्य शैली में भगवान कृष्ण के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन किया जाता है। विल्वामंगलम नामक कृष्ण का एक भक्त कृष्ण की पोशाक बनाने में मदद करता है। इस नृत्य नाटक में अभिनय करने वाले व्यक्ति को बैले तत्व और अनुकरण करने की पद्धति से युक्त होना चाहिए। कथा गीत संगीतकारों के लिए छोड़ दिया जाता है।
कृष्णाट्टम एक मन्नत की पेशकश के तौर पर बनाया गया था और यह गुरूवयूर के मंदिर में उसकी क्षमतानुसार आज भी किया जाता है। यह नृत्य नाटिका कृष्ण-गीता पाठ पर आधारित है, जो कि संस्कृत में है। प्राचीन धार्मिक लोक नृत्यों जैसे- थियाट्टम, मुडियाट्ट एवं थियाम की कई विशेषताओं को कृष्णाट्टम में देखा जा सकता है, जिनमें चेहरे पर पेटिंग करना, रंगीन मुखौटे का उपयोग, सुन्दर वस्त्र और कपड़ों का उपयोग आदि महत्वपूर्ण है। मुखसज्जा, कपडे और आभूषण जो कि कृष्णाट्टम में उपयोग किए जाते हैं, वो लगभग वैसे ही होते हैं, जैसे कथकली में उपयोग में लाए जाते हैं।
इसमें कुछ चरित्र पेंट किए हुए मुखौटे पहनते हैं, जो कि लकड़ी से बने हुए होते हैं। इस नृत्य कला में मदालम, इलाथलम और चेंगला नामक संगीत के यंत्रों का प्रयोग होता है।