सामान्य ज्ञान
मोटोरोला कंपनी ने दुनिया में वर्ष 1973 में पहला व्यावसायिक मोबाइल फोन पेश किया। डायनाटेक 10 साल बाद बाजार में आया और उसकी कीमत थी 4000 डॉलर। 70 साल पहले मोबाइल फोन रखने वाले 25 पाउंड का फोन लेकर चला करते थे। उसकी पहुंच भी सीमित थी और लाइन मिलाने का काम टेलिफोन एक्सचेंज से होता था।
वर्ष 1989 में पेंट की जेब में आने वाला पहला सेलफोन बाजार में आया। मोटोरोला का माइक्रोटेक बंद और खोला जाने वाला पहला फोन था। इसके साथ छोटे फोन का ट्रेंड शुरू हुआ। वर्ष 1992 की गर्मियों में डिजिटल मोबाइल फोन का समय शुरू हुआ। अब विदेशों में भी फोन करना संभव था। 2 जी सेवा में सक्षम मोटोरोला 3200 उस जमाने के हिसाब से बहुत छोटा था।
1994 में शॉर्ट मैसेज सर्विस की शुरुआत हुई। शुरू में यह ग्राहकों को सूचना देने के लिए था, लेकिन जल्द ही छोटा संदेश भेजना टेलिफोन के बाद सबसे कामयाब कारोबार बन गया। वर्ष 1997 के बाद हैंडसेटों की बिक्री में भारी तेजी आई। नए- नए मॉडल बाजार में आने लगे और वे लोगों के चहेते यंत्र बन गए। प्रीपेड कार्डों के चलन ने सेलफोन को और लोकप्रिय बनाया।
वर्ष 1999 में आया नोकिया 7110 पहला फोन था जिसमें वायरलेस एप्लिकेशन प्रोटोकॉल की सुविधा था। इसके जरिए वेब पर जाया जा सकता था। इसके बाद तो तकनीकी विकास को पर ही लग गए। रंगीन डिसप्ले, एपपी3 प्लेयर, रेडियो और वीडियो फंक्शन सामान्य हो गए। कुछ साल बाद तो सेलफोन पर टीवी भी देखना संभव था। मोटोरोला रेजर नाम का कैमरा फोन 2004 में बाजार में आते ही छा गया, हालांकि उसे फैशन फोन के रूप में उतारा गया था। वर्ष 2006 के मध्य तक 5 करोड़ से ज्यादा फोन बिके। 2007 में एप्पल पहला आईफोन लेकर आया। टचस्क्रीन वाले फोन ने सेलफोन बाजार में क्रांति ला दी। इस पहले यूजर फ्रेंडली फोन में 2001 से उपलब्ध 3जी सुविधा भी डाली गई। एलटीई के साथ मोबाइल फोन की चौथी पीढ़ी शुरू हो चुकी है। घर, कार और दफ्तर को फोन के साथ जोड़ा जा रहा है। स्मार्टफोन से पेमेंट भी संभव होगा।