विचार / लेख
-अजीत साही
मैंने बचपन से देखा है कि नवरात्र में मेरे कई जानने वाले मांस नहीं खाते। धर्म ग्रंथों में इस परंपरा का मूल कोई बता सकता है? मुझे इसका तर्क समझ नहीं आया है। अगर मांस भगवान विरोधी खाना है, या धर्म भ्रष्ट करता है, तो फिर सिर्फ नौ दिन ही क्यों, उसे कभी भी नहीं खाना चाहिए।
कौन क्या खाता है ये व्यक्तिगत मामला है और इस पर बवाल काटना मुझे कभी समझ नहीं आया। मैं बचपन से शाकाहारी था। फिर मांसाहारी हुआ। फिर शाकाहारी हो गया। ये मेरा निजी मामला है। मेरी पत्नी और बेटा मांस खाते हैं। मैं उनके लिए पकाता भी हूँ। हम सब मस्त रहते हैं। लेकिन कई मांस खाने वालों को देखता हूँ कि शाकाहारियों का मजाक उड़ाते रहते हैं और कई शाकाहारी लोग मांस खाने वालों को नीचा दिखाते रहते हैं। मैं दोनों से परे रहता हूँ।
लेकिन मूल बात ये है कि साल भर अगर मांस का सेवन धर्म भ्रष्ट नहीं करता है तो फिर नौ दिन कैसे कर देता है? और अगर नौ दिन मांस का सेवन धर्म भ्रष्ट करता है तो फिर बाकी साल क्यों नहीं करता है? मैं बचपन में सोचता था कि मांस सिर्फ संडे खाए जाने वाली चीज है क्योंकि मेरे रिश्तेदारों के यहाँ मांस सिर्फ संडे को पकता था। ये भी दिमाग में बैठ गया था कि मांस सिर्फ मर्द लोग खाते हैं क्योंकि उनको ही खाते देखा था। और क्योंकि मांस रसोई से दूर अलग पकाया जाता था तो मैं कंफ्यूज भी रहता था कि ये कैसा खाना है जो खाना है मगर उसकी खाने जैसी इज्जत नहीं है।
एक बात और ये है कि ये हिंदूवादी लोग नवरात्र के चक्कर में मांस की दुकानें बंद कर देना चाहते हैं। लेकिन नवरात्र के साथ-साथ रमज़ान भी शुरू हुआ है। तो फिर मांस की दुकान क्या सिर्फ हिंदुओं के त्योहार के हिसाब से चलेंगी? क्या सिर्फ इसलिए कि भारत में हिंदुओं की संख्या ज़्यादा है तो हिंदू जो तय कर देंगे वही होगा?
वैसे भी ये बात तो अपने आपमें ही बहुत बेहूदी है कि खाने-पीने पर धार्मिक वजह से रोक लगाई जाती है। पश्चिम के देशों में धार्मिक कारणों से कोई रोक नहीं है। हाल के सालों में यहाँ अमेरिका में घोड़े, कुत्ते और बिल्ली के मांस के खाए जाने पर रोक लगा दी गई है। इसका भी कई लोग विरोध कर रहे हैं। बैन लगाने के पीछे कारण बताया गया है कि अमेरिका में घोड़ों को कई प्रकार की दवाइयाँ दी जाती हैं जो कि मांस के ज़रिए इंसान में घुस कर घातक हो सकती हैं। कुत्ते के मांस पर बैन इसलिए है कि उससे बीमारी फैल सकती है। बिल्ली का मांस क्यों प्रतिबंधित है ये पढऩे में नहीं आ रहा है। कुछ अन्य जानवरों के मांस पर इसलिए बैन लगा है क्योंकि उनकी संख्या बहुत कम हो गई है और वो लुप्त होने की कगार पर आ गई हैं। यूरोप के कई देशों में घोड़े का मांस धड़ल्ले से खाया जाता है। पूर्वी एशिया के कई देशों में कुत्ते और बिल्ली का मांस खाया जाता है। मैंने दुबई में एक दुकान में देखा था कि सुअर का मांस गैर-मुस्लिमों के लिए कानूनी तौर पर बिक रहा था।
बहरहाल, मुझे इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला है कि क्या भगवान को हमारा सिर्फ नौ दिन मांस खाना नहीं पसंद है? बाकी टाइम ओके है?