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यूक्रेन युद्ध के कारण चीलों ने बदली राह, चुना लंबा रास्ता
31-May-2024 12:56 PM
यूक्रेन युद्ध के कारण चीलों ने बदली राह, चुना लंबा रास्ता

रूस और यूक्रेन के बीच दो साल से भी ज्यादा समय से लड़ाई जारी है. इस युद्ध के कारण चीलों की एक खास प्रजाति ने अपने माइग्रेशन का रास्ता ही बदल दिया.

 
 

  डॉयचे वैले पर रितिका का लिखा-

 

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने पहले से ही संवेदनशील ‘ग्रेटर स्पॉटेड चीलों' की प्रजाति के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। साइंस जर्नल ‘करेंट बायॉलजी' में छपी एक स्टडी के मुताबिक, युद्ध के कारण इन चीलों को अपने प्रवासन का रास्ता बदलना पड़ा है। एस्टोनिया यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ साइंसेज और ब्रिटिश ट्रस्ट फॉर ओरनिथॉलजी के शोधकर्ताओं की यह स्टडी युद्धग्रस्त इलाकों में वन्यजीवों पर पडऩे वाले प्रभाव को रेखांकित करती है।

संघर्ष और युद्ध केवल इंसानों को ही नहीं, बल्कि जानवरों और पक्षियों को भी प्रभावित करते हैं। युद्ध के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान का सीधा संबंध ग्रेटर स्पॉटेड चीलों के प्रवासन में आए बदलाव से है। ये चील प्रजनन के लिए यूक्रेन के रास्ते दक्षिणी बेलारूस जाते हैं। ग्रेटर स्पॉटेड चीलों को 'इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर रेड लिस्ट' ने संवेदनशील प्रजातियों की श्रेणी में रखा है। चीलों की यह प्रजाति पश्चिमी और केंद्रीय यूरोप, खासकर बेलारूस और पोलेसिया के इलाकों में पाई जाती है।

युद्ध के कारण चीलों ने चुना लंबा रास्ता

अध्ययन के मुताबिक, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही इन चीलों के माइग्रेशन के रास्ते में बदलाव देखा गया। शोधकर्ताओ ने 19 चीलों के प्रवासन का अध्ययन किया और पाया कि यूक्रेन में बनी स्थितियों के कारण इन्होंने प्रवासन के लिए लंबा रास्ता चुना। रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में  युद्ध शुरू हुआ था।

शोधकर्ताओं ने मार्च और अप्रैल 2022 के दौरान चीलों के प्रवासन का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि इन चीलों ने 2019 और 2021 में जो रास्ता लिया था, उसे इस बार नहीं चुना। युद्ध शुरू होने के बाद इन चीलों ने औसतन 85 किलोमीटर अधिक लंबा रास्ता तय किया। इनमें से कुछ चीलों ने तो 250 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की।

युद्ध से पहले जहां 90 फीसदी चील अपने प्रवासन के दौरान यूक्रेन में रुका करते थे, वहीं युद्ध के बाद यह आंकड़ा घटकर 32 फीसदी हो गया। कुछ चील तो माइग्रेशन के दौरान यूक्रेन से पूरी तरह दूर रहे।  इन चीलों ने ना सिर्फ अपने प्रवासन का रास्ता बदला, बल्कि आराम करने का वक्त भी घटा दिया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन चीलों ने अपना समय और ताकत दोनों ही प्रवासन के रास्ते पर खर्च कर दिए।

चीलों का प्रजनन हो सकता है प्रभावित

वैज्ञानिकों का मानना है कि इन चीलों ने खासकर ऐसे रास्तों को नजरअंदाज किया, जहां सैन्य गतिविधियां अधिक थीं। यूक्रेन के अलावा इन पक्षियों के प्रवासन के रास्ते में कहीं और कोई बदलाव नजर नहीं आया।

अध्ययन बताते हैं कि धमाके और तेज आवाजों से वन्यजीव प्रभावित होते हैं, इसलिए संभव है कि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियों के कारण ही इन चीलों ने अपने प्रवासन के रास्ते को बदला होगा। शोधकर्ताओं ने मुताबिक, इन बदलावों के कारण प्रवासन में अधिक उर्जा तो लगती ही है, साथ ही पक्षियों की मौत का जोखिम भी बढ़ता है। बिना किसी आराम के इतना लंबा सफर तय करने की यह प्रक्रिया इन चीलों के प्रजनन को प्रभावित कर सकती है।

वैज्ञानिकों को आशंका है कि यूक्रेन की मौजूदा स्थिति सिर्फ इन चीलों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य विलुप्त होती प्रजातियों के लिए भी खतरे का संकेत हो सकती हैं। पर्यावरण में हुए बदलाव वन्य जीवों के प्रवासन को भी लंबे वक्त के लिए प्रभावित कर सकते हैं। (डॉयचे वैले)

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