विचार / लेख
डॉ. आर.के. पालीवाल
सुबह के अख़बार में कोई दिन भी ऐसा नहीं जाता जिस दिन कहीं न कहीं किसी न किसी विभाग या व्यक्ति के भ्रष्टाचार के बारे में कोई बड़ा समाचार नहीं होता। भ्रष्टाचार हमारे देखते देखते पिछले तीन चार दशक में इतना भारी भरकम हो गया है कि उसकी तुलना जीव जगत में पगलाए हाथी और वनस्पति जगत में वट वृक्ष से ही की जा सकती है। जिस तरह से पागल हाथी अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को तहस नहस कर देता है और वट वृक्ष अपने आसपास किसी पौधे को फलने फूलने नहीं देता उसी तरह हमारे यहां भ्रष्टाचार किसी भी सरकारी योजना को सफल नहीं होने देता और ईमानदार नागरिकों के रास्ते में तरह तरह की बाधा खड़ी करता है। चाहे फसल का मुआवजा लेना हो या प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ या राशन कार्ड बनवाना हो या कोई नया काम शुरू करने के लिए एन ओ सी लेनी हो हर जगह भ्रष्टाचारियों को चढ़ावे के बगैर सफलता नामुमकिन है। दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के दम पर जहर को अमृत बताकर बेचा जा सकता है और किसी भी अपराध को अंजाम दिया जा सकता है। इसका एक बड़ा उदाहरण हाल ही में मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज घोटाले के रूप में सामने आया है।व्यापम घोटाले के बाद यह ऐसा दूसरा बड़ा घोटाला है जिसने मध्य प्रदेश सरकार, नर्सिंग कॉलेज से जुडे स्वास्थ्य शिक्षा विभाग और केंद्रीय जांच एजेंसी सी बी आई की छवि पर गहरा दाग लगाया है।हद तो यह है कि इस मामले की जांच मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश और निगरानी में सी बी आई को सौंपी गई थी। शिकायतकर्ताओं के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार इस मामले की शिकायतों पर कारगर कार्यवाही नहीं कर रही थी इसलिए इस मामले को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाया गया था। जिस एजेंसी को भ्रष्टाचार के मामलों की विशेषज्ञ मानकर उच्च और सर्वोच्च न्यायालय महत्त्वपूर्ण जांच सौंपते हैं यदि वह खुद भ्रष्टाचार की तलैया में लोट लगाने लगे तब भ्रष्टाचार के हाथी को कैसे बांधा जा सकता है! ऐसे में आम नागरिक कैसे विश्वास करे कि प्रधानमंत्री जिस डबल इंजन सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं उसमें जरा भी दम है।
भ्रष्टाचारियों का नेटवर्क कितना मजबूत और बेखौफ हो गया है इसका अंदाज मीडिया की उन रिपोर्ट से लगाया जा सकता है जिसके अनुसार सी बी आई टीम के दलाल मध्य प्रदेश के कई जिलों में सक्रिय होकर नर्सिंग कॉलेज के संचालकों से घूस की सौदेबाजी कर रहे थे और घूस की रकम से सोने के बिस्किट खरीद कर काले धन के अंबार लगा रहे थे।यह तो सी बी आई के दिल्ली मुख्यालय की तारीफ करनी होगी जिसने अपने भ्रष्ट इंस्पेक्टरों और डी एस पी की टीम के भ्रष्टाचार को पकड़ कर जांच एजेंसी पर लगे धब्बे को थोडा सा हल्का कर दिया। उम्मीद है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और अन्य राज्यों के उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय भी इस मामले के प्रकाश में आने के बाद सी बी आई और ई डी जैसी ताकतवर एजेंसियों को सौंपी गई जांचों की निगरानी बढ़ाएंगे और इन एजेंसियों की जॉच रिपोर्ट को शत प्रतिशत विश्वसनीय मानकर निर्णय नहीं करेंगे। अभी तक उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय इन एजेंसियों को सरकार के दबाव में काम करने के लिए डांट फटकार लगाते थे लेकिन अब इनकी रिपोर्ट्स को भी संदेह की नजर से देखा जा सकता है। कुछ समय पहले सर्वोच्च न्यायालय ने सी बी आई पर सरकारी तोता वाली कड़ी टिप्पणी की थी। मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय भी सी बी आई से कड़े सवाल कर सकता है ताकि इस मामले के भ्रष्टाचार की सही जांच होकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित हो सके। भ्रष्टाचार के हाथी को रोके बिना हम विश्व गुरु बनना तो दूर अपनी रही सही साख भी नहीं बचा पाएंगे। भ्रष्टाचार के हाथी को रोकने के लिए हवाई भाषणों से कुछ नहीं होगा जमीन पर ठोस कार्रवाई की जरूरत है ताकि भ्रष्टाचारियों के मन में कानून का खौफ हो।