विचार / लेख

30 करोड़ बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार बने
29-May-2024 8:04 PM
30 करोड़ बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार बने

हर साल 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार होते हैं. वैश्विक स्तर पर किए गए एक अध्ययन में डराने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

  डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-

ब्रिटेन की एडिनबरा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि दुनियाभर में हर साल 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण और प्रताडऩाओं के शिकार हो रहे हैं। वैश्विक स्तर पर इस तरह का यह पहला अध्ययन है, जो दिखाता है कि इंटरनेट पर बच्चों के शिकार हो जाने की समस्या कितनी बड़ी है।

27 मई को प्रकाशित इस शोध के मुताबिक पिछले 12 महीने में दुनिया के हर आठवें बच्चे को इंटरनेट पर यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। इसमें गतिविधियों का शिकार बने। रिपोर्ट के मुताबिक अनचाहे अश्लील संदेश भेजने या यौन गतिविधियों के आग्रह करने के पीडि़त बच्चों की संख्या भी लगभग इतनी ही रही।

ऑनलाइन यौन उत्पीडऩ की ये गतिविधियां ब्लैकमेल करने तक भी गईं और कई मामलों में निजी तस्वीरों की एवज में अपराधियों ने धन की मांग की। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंससे लेकर डीपफेक तकनीक के जरिए आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरें बनाकर भी बच्चों को शिकार बनाया गया।

शोधकर्ता कहते हैं कि यह समस्या पूरी दुनिया में फैली है लेकिन अमेरिका में खतरा बेहद ज्यादा आंका गया है। वहां हर नौ में से एक व्यक्ति ने कभी ना कभी बच्चों के साथ ऑनलाइन दुर्व्यवहार की बात मानी।

लडक़े खासतौर पर खतरे में
चाइल्डलाइट के प्रमुख पॉल स्टैन्फील्ड ने बताया, ‘बच्चों के यौन उत्पीडऩ की संख्या इतनी बड़ी है कि औसतन हर सेकंड पुलिस या किसी समाजसेवी संस्था को इस तरह की घटना की शिकायत मिलती है। यह एक वैश्विक स्वास्थ्य महामारी है जो जरूरत से ज्यादा समय से ढकी-छिपी रही है। ऐसा हर देश में होता है और बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसके लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाए जाने की जरूरत है।’

पिछले महीने की ब्रिटेन की पुलिस ने चेतावनी जारी की थी कि पश्चिमी अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में सक्रिय गिरोह ब्रिटिश किशोरों को यौन उत्पीडऩ के बाद ब्लैकमेल का शिकार बना रहे हैं।

सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं के मुताबिक किशोर लडक़ों के साथ यौन उत्पीडऩ के मामलों में खासतौर पर तेजी देखी जा रही है। ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी (एनसीए) ने लाखों शिक्षकों को चेताया था कि वे अपने छात्रों के साथ ऐसे किसी व्यवहार को लेकर सजग रहें।

अधिकारियों के मुताबिक ये अपराधी बच्चों की ही उम्र का होने का ढोंग रचकर सोशल मीडिया पर संपर्क करते हैं और फिर इनक्रिप्टेड मेसेजिंग ऐप्स के जरिए बातचीत बढ़ाकर पीडि़तों को अपनी निजी तस्वीरें या वीडियो साझा करने को उकसाते हैं। अक्सर देखा गया है कि निजी तस्वीरें मिलने के एक घंटे के भीतर ही ये ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं और जितना ज्यादा हो सके धन ऐंठने की कोशिश करते हैं क्योंकि उनका मकसद शारीरिक संतुष्टि नहीं बल्कि धन उगाहना होता है।

भारत में कई गुना वृद्धि
भारत में इस तरह के अपराधों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। पिछले साल आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के बाद से भारत में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण के मामलों में 87 फीसदी की वृद्धि हुई। नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉयटेड चिल्ड्रन नामक संस्था की इस रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चों के यौन शोषण की ऑनलाइन सामग्री में 3।2 करोड़ का इजाफा हुआ है।

कैसे दें रिवेंज पॉर्न का जवाब
‘वी प्रोटेक्ट ग्लोबल अलांयस' ने अक्तूबर में अपनी चौथी सालाना रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया कि 2021 में उसके सर्वेक्षण में 54 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि बचपन में उन्हें ऑनलाइन यौन शोषण का सामना करना पड़ा। साथ ही, 2020 से 2022 के बीच बच्चों के अपनी निजी तस्वीरें या वीडियो इंटरनेट पर साझा करने के मामलों में 360 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

इस रिपोर्ट में कहा गया कि सोशल ऑनलाइन गेमिंग प्लैटफॉर्म खासतौर पर बच्चों के यौन शोषण के गढ़ बन रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि कई बार तो बच्चों को फांसने में 19 सेकंड का समय लगता है जबकि औसतन समय 45 मिनट है।

निजी तस्वीरों के आधार पर धन ऐंठने के मामले 2021 में 139 थे जबकि 2022 में इनकी संख्या दस हजार को पार कर गई। (dw.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news