सामान्य ज्ञान
लियाकत अली पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे और वे आधुनिक पाकिस्तान के जनकों में गिने जाते हैं। 16 अक्टबूर 1951 में रावलपिंडी में एक जनसभा में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.
उनकी हत्या के पीछे की गुत्थी आज तक हल नहीं हो पाई है। उनका हत्यारा साद अकबर बबरक मौके पर ही पुलिस की गोली से मारा गया था। उसकी शिनाख्त एक अफगान के रूप में हुई। लियाकत अली को बाद में शहीदे मिल्लत (यानि देश के लिए शहीद होने वाला) के खिताब से नवाजा गया। पूर्वी पंजाब के करनाल जिले में जन्मे अली का पूरा नाम नवाबजादा लियाकत अली था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढऩे के बाद अली उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय चले गए। वहां से लौटने पर उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव मिला। अली ने मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग में शामिल होना चुना। भारत की आजादी और बंटवारे से पहले वह भारत के वित्त मंत्री भी थे। हालांकि आजाद भारत के पहले वित्त मंत्री आरके षण्मुखम शेट्टी थे।
इसी बीच पाकिस्तान मूवमेंट के दौरान मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अली ने अगुवाई की और कई दौरे किए। विभाजन होने पर उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पद संभाला, लेकिन उस समय पाकिस्तान धार्मिक हिंसा के बुरे दौर से भी गुजर रहा था। 1947 से 1951 के बीच वे कॉमनवेल्थ और कश्मीर मामलों के मंत्री भी रहे।