सामान्य ज्ञान
नदियों, झीलों, तालाबों और सागरों का पानी सूर्य की गरमी से भाप में बदल जाता है। यह भाप वाष्प के रूप में हवा में मिल जाती है। वाष्प मिली गर्म हवा हल्की हो ऊपर आसमान में चली जाती है। जब हवा से भरे वाष्प एक स्थान पर एकत्र होते हैं तो वे धुएं जैसे दिखाई देते हैं। इसे ही बादल कहते हैं। बादल दस प्रकार के होते हैं। परंतु विभिन्न आकारों और आकृतियों के आधार पर इन्हें चार मुख्य भागों में बांटा गया है।
1. सायरस बादल- सायरस बादल सफेद रंग के होते हैं और पक्षियों के पंखों जैसे दिखाई देते हैं। ये बर्फ के छोटे कणों से बने होते हैं। इनकी ऊंचाई 8 हजार से 11 हजार मीटर के बीच होती है।
2. स्ट्रैटस बादल- इन बादलों का निर्माण लगभग 2400 मीटर की ऊंचाई पर होता है। ये धुंध की परतों जैसे दिखाई देते हैं। ये बादल खराब मौसम और बूंदाबांदी के सूचक होते हैं।
3. क्यूमुलस बादल- ये बादल लगभग 1220 से 1525 मीटर की ऊंचाई पर बनते हैं। ये ऊपर से गुंबद जैसे और नीचे से सपाट होते हंै। ये आकाश में सफेद पहाड़ या कपास के ढेर जैसे दिखाई देते हैं।
4. निम्बोस्ट्रैट्स बादल-ये बादल बहुत कम ऊंचाई पर बनते हैं। ये पानी के नन्हें कणों से बने होते हैं। इनका रंग गहरा भूरा अथवा काला होता है। यही वे बादल हैं जो धरती पर वर्षा करते हैं।
सबसे अधिक ऊंचाई पर बनने वाले बादलों को नाक्टील्यूमैंट बादल कहते हैं। इनकी ऊंचाई 48 हजार से 80 हजार मीटर तक हो सकती है।