सामान्य ज्ञान
गुर्दे की पथरियां तब बनती हैं जब पेशाब में मौजूद लवण और खनिज, गुर्दे के भीतर ठोस कणों का रूप ले लेते हैं। आमतौर पर ये पेशाब के साथ बाहर निकल जाते हैं , लेकिन कई बार ये बढऩे लगते हैं।
कभी कभी ये गुर्दे से निकलकर पेशाब की थैली को जोडऩे वाली नली जिसे यूरेटर कहते हैं उसमें अटक जाते हैं। इनसे कमर में भयंकर पीड़ा होती है, पेशाब में ख़ून आने लगता है, घुम्मी आने लगती है, बुख़ार और जाड़ा चढ़ता है।
गुर्दे की पथरियां होती क्यों हैं इसके कई कारण हैं। कम पानी पीने से, वंशानुगत कारणों से, थायरॉएड की दवाओं के प्रयोग से, अधिक प्रोटीन युक्त भोजन से, ख़ून में यूरिक ऐसिड के बढऩे से। इनका इलाज संभव है। आम तरीक़ा ये है कि गुर्दे की पथरी का पता लगाकर फिर लिथोट्रिप्टोर नाम की मशीन से तरंगे भेजकर इन्हें तोड़ा जाता है जिससे ये पेशाब के ज़रिए निकल सकें। बड़ी पथरी को शल्य चिकित्सा द्वारा निकाला जाता है।