सामान्य ज्ञान
हायपेरीयान शनि का सोलहवां ज्ञात चन्द्रमा है। इसकी कक्षा है- 14 लाख 81 हजार 100 किमी शनि से और व्यास है 286 किमी।
ग्रीक मिथकों के अनुसार हायपेरीयान एक टाईटन तथा युरेनस और गैया का पुत्र और हेलीओस का पिता था। इसकी खोज बांड और लासे ने 1848 में की थी। हायपेरीयान सौर मंडल में सबसे बड़ा अनियमित आकार का पिंड है। प्रोटीउस इससे बड़ा है लेकिन लगभग गोलाकार है। ऐसा प्रतीत होता है कि हायपेरीयान किसी बड़े पिंड का टुकड़ा है जो भूतकाल में किसी टक्कर से टूट गया था।
हायपेरीयान का घनत्व पानी के घनत्व का आधा है जो कि शनि के चन्द्रमाओं में सबसे कम है। इसका अर्थ यह है कि यह चन्द्रमा जलबर्फ का बना है और थोड़ी मात्रा में चट्टान है। यह चन्द्रमा स्पंज जैसे फुसफुसा है। इसका कम घनत्व गहरे और तीखे क्रेटरों से भी है।
शनि के अन्य चंद्रमाओं के विपरीत इसकी चमक कम है(अल्बीडो 02-0.3), जो इस पर किसी गहरे पदार्थ की पतली परत के कारण है। यह परत गहरे रंग के चन्द्रमा फोबे के पदार्थ से हो सकती है। कासीनी के आंकड़ों के अनुसार यह पदार्थ कार्बनिक है। वायेजर यान से लिए चित्रों और भूस्थित वेधशालाओं के अध्ययन के अनुसार हायपेरीयान का घुर्णन स्थायी नहीं है। इसके घुर्णन का अक्ष इतना अस्थिर है कि अंतरिक्ष में हायपेरीयान के अक्ष की दिशा का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। हायपेरीयान के जैसे अस्थिर अक्ष वाला एक और पिंड क्षुद्रग्रह 4178 टाउटेटीस है। हायपेरीयान एक अत्यंत अनियमित आकार का, अति दीर्घवृत्ताकार कक्षा में तथा एक बड़े चन्द्रमा टाईटन के समीप है जिससे इसका स्थायी घूर्णन अक्ष असंभव है।
हायपेरीयान के विषम घुर्णन के पीछे एक कारण यह भी है कि इसकी सतह एक जैसी है जबकि शनि के अन्य चंद्रमाओं के पाश्र्व गोलार्ध और मुख गोलार्ध में अंतर है।