सामान्य ज्ञान
अलकनंदा एक नदी है, जो प्राचीन गंगा नदी की सहयोगी नदी हैं। यह गंगा के चार नामों में से एक है। चार धामों में गंगा के कई रूप और नाम हैं। गंगोत्री में गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा। यह उत्तराखंड में शतपथ और भगीरथ खडक़ नामक हिमनदों से निकलती है। यह स्थान गंगोत्री कहलाता है।
अलकनंदा नदी घाटी में लगभग 229 किमी तक बहती है। देव प्रयाग या विष्णु प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी का संगम होता है और इसके बाद अलकनंदा नाम समाप्त होकर केवल गंगा नाम रह जाता है। अलकनंदा चमोली टेहरी और पौड़ी जिलों से होकर गुजऱती है। गंगा के पानी में इसका योगदान भागीरथी से अधिक है।
हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ अलकनंदा के तट पर ही बसा हुआ है। राफ्टिंग इत्यादि साहसिक नौका खेलों के लिए यह नदी बहुत लोकप्रिय है। तिब्बत की सीमा के पास केशवप्रयाग स्थान पर यह आधुनिक सरस्वती नदी से मिलती है। केशवप्रयाग बद्रीनाथ से कुछ ऊंचाई पर स्थित है। अलकनंदा की पांच सहायक नदियां हैं जो गढ़वाल क्षेत्र में 5 अलग अलग स्थानों पर अलकनंदा से मिलकर पंच प्रयाग बनाती हैं। ये नदियां हैं-
1. विष्णु प्रयाग जहां धौली गंगा अलकनंदा से मिलती है।
2. नंद प्रयाग जहां नंदाकिनी अलकनंदा से मिलती है।
3. कर्ण प्रयाग जहां पिंडारी अलकनंदा से मिलती है।
4. रूद्र प्रयाग जहां मंदाकिनी अलकनंदा से मिलती है।
5. देव प्रयाग जहां भागीरथी अलकनंदा से मिलती है।