सामान्य ज्ञान

चंपानेर
17-May-2022 11:38 AM
चंपानेर

चंपानेर की स्थापना चावड़ा वंश के राजा वनराज चावड़ा ने की थी। उनके एक मंत्री का नाम चंपाराज था, जिसके नाम पर इस जगह का नामकरण हुआ। कुछ लोगों का मानना है कि चंपानेर नाम ‘चंपक’ फूल के कारण पड़ा है, क्योंकि इस क्षेत्र के पाए जाने वाले आग के चट्टानों में भी फूलों की तरह ही पीलापन देखने को मिलता है। चंपानेर के ठीक ऊपर बने पावागढ़ किले को खिची चौहान राजपूतों द्वारा बनवाया गया था।

बाद में इस पर महमूद बेगड़ा ने कब्जा कर लिया। महमूद बेगड़ा ने इसे अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने इसका नाम महमूदाबाद रखा और इस शहर के पुननिर्माण और सजावट के लिए यहां 23 साल गुजारे। बाद में मुगलकाल के दौरान अहमदाबाद को राजधानी बनाया गया, जिससे चंपानेर का गौरव और महत्व खो गया।  कई सालों तक तो यह जंगल का हिस्सा रहा। हालांकि बाद में जब अंग्रेजों ने सर्वे कराया तो चंपानेर का खोया गौरव फिर से वापस आ गया। शहर की उत्कृष्ट वास्तुशिल्पीय खूबसूरती को देखने के लिए बड़ी संख्या में यहां लोग आते हैं।

चंपानेर में घूमने के लिए बहुत कुछ है। यहां आप चंपानेर की मस्जिदें, सिकंदर शाह का कब्र, हलोल, सकर खान दरगाह, मकाई कोठार/नवलखा कोठार, किला, हेलीकल बावली, ईंट का मकबरा और पावागढ़ किला देख सकते हैं। इसके अलावा यहां के प्रचीन मंदिर, किले की दीवारें, जांबुघोड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य, केवड़ी ईको कैंपसाइट और धानपरी ईको कैंपसाइट भी काफी महत्वपूर्ण है। पावागढ़ किला की दीवारों के कुछ हिस्सों का अस्तित्व आज भी है।  2004 में चंपानेर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news