सामान्य ज्ञान

जकवड़
30-May-2022 11:07 AM
जकवड़

जकवड़ या पवाड़ या फिर  पवांर, एक प्रकार का औषधीय पौधा है। वर्षा ऋतु की पहली फुहार पड़ते ही इसके पौधे खुद उग आते हैं और गर्मी के दिनों में जो-जो जगह सूखकर खाली हो जाती है, वह घास और पवाड़ के पौधे से भरकर हरी-भरी हो जाती है। इसके पत्ते अठन्नी के आकार के और तीन जोड़े वाले होते हैं।

विभिन्न भाषाओं में नाम -संस्कृत- चक्रमर्द। हिन्दी-पवाड़, पवांर, चकवड़। मराठी- टाकला। गुजराती- कुवाडिय़ों। बंगला- चाकुन्दा। तेलुगू- तागरिस। तामिल- तगरे। मलयालम- तगर। फरसी- संग सबोया। इंगलिश- ओवल लीव्ड केशिया। लैटिन- केशिया टोरा।

यह हलकी, रूखी, मधुर, शीतल, हृदय को हितकारी, तीनों दोषों का शमन करने वाली, श्वास, खांसी, कृमि, खुजली, दाद तथा चर्मरोगनाशक होती है। इसका फल (बीज) कड़वा एवं गरम प्रकृति वाला होता है और कोढ़, विष, वात, गुल्म, कृमि, श्वास इन सब रोगों को नष्ट करने वाला होता है।

वर्षाकाल में पवाड़ का पौधा अपने आप सब तरफ पैदा हो जाता है। यह दो प्रकार का होता है- चक्र मर्द और कासमर्द। त्वचा पर दाद गोलाकार में होती है अत: दाद को अंग्रेजी में रिंग वार्म कहते हैं। चक्र मर्द नाम का पौधा दाद के गोल-गोल घेरे (चक्र) को नष्ट करता है, इसीलिए इसे संस्कृत में चक्र मर्द यानी चक्र नष्ट करने वाला कहा गया है।

चक्रमर्द शब्द का अपभ्रंश नाम ही चकवड़ हो गया। इसके पत्ते मैथी के पत्तों जैसे होते हैं। इसी से मिलता-जुलता एक पौधा और होता है, जिसे कासमर्द या कसौंदी कहते हैं। यह पौधा चक्र मर्द से थोड़ा छोटा होता है और इसकी फलियाँ पतली व गोल होती हैं। यह खांसी के लिए बहुत गुणकारी होता है, इसलिए इसे कासमर्द यानी कास (खांसी) का शत्रु कहा गया है।

ग्रामीणजन तो इसकी कोमल पत्तियों की सब्जी बनाकर खाते हैं और इसे बहुत गुणकारी मानते हैं। इसके बीजों को पीसकर करंजी के तेल में मिलाकर मल्हम बनाकर दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं।  इसकी पतियों को पीसकर लुग्दी बनाकर और पुल्टिस तैयार कर फोड़े पर बाँधने से फोड़ा पककर फूट जाता है, चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।

इसके पत्तों को चार कप पानी में डालकर उबालें। जब पानी एक कप बचे तब उतार कर छान लें। इस काढ़े को 1-1 चम्मच, आधे कप कुनकुने पानी में घोलकर सुबह शाम पीने से पेट साफ होता है, कब्ज दूर होता है और पेट के कीड़े नष्ट होते हैं। छोटे शिशु को दांत-दाढ़ निकलते समय इसके पत्तों का काढ़ा पाव-पाव चम्मच सुबह-शाम थोड़े पानी में मिलाकर पिलाने से दंांत आराम से निकलते हैं।

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