सामान्य ज्ञान
काराकुम नहर, तुर्कमेनिस्तान में स्थित सिंचाई की एक नहर है जो आमू दरिया से पानी लेकर उसे काराकुम रेगिस्तान के पार ले जाती है। इसकी लम्बाई 1 हजार 375 किलोमीटर है और यह दुनिया की सबसे लम्बी सिंचाई नहरों में से एक है।
काराकुम नहर का निर्माण सोवियत संघ के ज़माने में सन् 1954 में शुरू हुआ था और 1988 में सम्पन्न हुआ। इसके बनाने से बहुत सी बंजर ज़मीनें उपजाऊ बन गई और तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्क़ाबाद में पानी की सहूलियत हो गई। दुर्भाग्यवश काराकुम नहर को बनाने में अच्छी तकनीकों का इस्तेमाल नहीं किया गया। आम तौर पर आधुनिक मुख्य नहरों सीमेंट की बनी होती हैं ताकि पानी नीचे और आसपास की धरती में ना चू जाए। इसके बजाए काराकुम नहर सीधे रेगिस्तानी रेत में खुदी हुई है और इसमें कोई सीमेंट का अस्तर नहीं लगा। इस वजह से नहर का लगभग 50 प्रतिशत पानी रिसकर बरबाद हो जाता है। इस से नहर के रास्ते में तालाब-झीलें बन गई हैं जिनसे नीचे से नमक ऊपर आ जाता है और ज़मीन को खारा कर देता है, जो वनस्पतियों-फ़सलों को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा आमू दरिया से पानी लेने से आमू में आगे आने वाला अरल सागर इस पानी से वंछित रह जाता है। अरल सागर सूख रहा है और अब एक बहुत ही भयंकर पर्यावरणीय विपदा क्षेत्र है, जिसमें इस नहर का एक बड़ा हाथ है।