सामान्य ज्ञान
अरल सागर या अराल सागर मध्य एशिया में स्थित एक झील है जिसके बड़े आकार के कारण इसे सागर कहा जाता है, पर अब दिनोदिन इसका आकार घटता जा रहा है। स्थानीय भाषाओं में इसका शाब्दिक अर्थ है-द्वीपों की झील, जो इस झील में एक समय पर दिखने वाले लगभग 1500 टापुओं के आधार पर नामांकित थी।
सन् 1960 में सोवियत प्रशासन ने इसमें विसर्जित होने वाली दो नदियों - आमू दरिया और सिर दरिया को मरुभूमि सिंचाई के लिए विमार्गित करने का निर्णय लिया, जिसके बाद से अरल सागर घटा और तीन अलग-अलग भागों में बंट गया। इसके फलस्वरूप आने वाले 40 सालों में अराल सागर का 90 प्रतिशत जल खत्म हो गया तथा 74 प्रतिशत से अधिक सतह सिकुड़ गई और इसका आकार 1960 के इसके आकार का सिर्फ 10 प्रतिशत ही रह गया है।[1]
एक समय इसका क्षेत्रफल लगभग 68 हजार वर्ग किलोमीटर था। इसके बाद सन् 2007 तक यह अपने मूल आकार के 10 प्रतिशत पर आ गया है। पानी की लवणता में वृद्धि हो रही है और मछलियों का जीवन असंभव हो गया है। 1960 के बाद के दशकों में सूखे के कारण और पानी मोडऩे के लिए बनाई गई नहरों के कुप्रबंधन के चलते अराल सागर की तट रेखा में भी काफी कमी देखी गई, जहां बड़ी नौकाएं चलती थीं, वहां रेगिस्तान नजर आने लगा था। लेकिन इस सबके एवज़ में उज़बेकिस्तान दुनिया के प्रमुख कपास निर्यातकों में गिना जाने लगा है, जो एक समय सोवियत संघ की योजना थी।