सामान्य ज्ञान
केरल की झींगा मछली, कटलफिश, स्क्विड तथा कुछ अन्य मछलियों की विश्व बाजार में काफी मांग है। इस भूमि में समृद्ध तटीय फिशिंग क्षेत्र हैं, जहां ऑयल सार्डिन (माथी चाल) मैकेरल (अइला), प्रॉन्स (चेम्मीन), सिल्वर बेलीज (मुल्लंस) जैसी व्यापारिक महत्व वाली कई प्रकार की मछलियों का उत्पादन होता है।
केरल में लगभग 36 हजार वर्ग किमी समुद्री जल तथा 3600 वर्ग किमी क्षेत्र के भीतरी (इनलैंड) जलस्रोत उपलब्ध हैं। भीतरी जलस्रोतों में शामिल हैं- 44 नदियां, झील, मुहाने, अप्रवाही जल, नहर तथा मछली फार्म, जिनकी वजह से देश में केरल सबसे अधिक मछलियों का उत्पादन करने वाला राज्य है। इस राज्य के पास समुद्री संसाधन से उत्पादन की अधिकतम क्षमता मौजूद है, जो वार्षिक 10 लाख टन है।
केरल के डब्बाबंद सी फूड की दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिमी यूरोप, जापान तथा यूएसए में काफी मांग है। वर्षों से जापान यहां के सी फूड का सबसे बड़ा उपभोक्ता रहा है। राज्य का तीसरा बड़ा मछली उत्पादन केंद्र है कोल्लम, खासकर नींदकारा; जो अरब सागर तट पर एक प्राचीन बंदरगाह है। कोल्लम में 24 इनलैंड फिशिंग गांव हैं। हम यदि मध्य केरल की ओर बढ़ें तो अलप्पुझा भी मछलियों के उत्पादन में अहम योगदान देता है। अलप्पुझा को आम तौर से पूर्व का वेनिस भी कहा जाता है। अरब सागर की रानी कोच्चि सी फूड निर्यातक कंपनियों का एक प्रमुख केंद्र है।
80 किमी लंबे समुद्र तट वाले कासरगोड में मछली पकडऩे के कई केंद्र हैं। उत्तर केरल के कन्नूर जिले में भी 82 किमी लंबा समुद्र तट है, जो फिशिंग उद्योग के लिए एक बड़ा उत्पादन केंद्र है।