सामान्य ज्ञान
यूरोपीय संघ के 18 सदस्य देशों जो मिलकर यूरो जोन का निर्माण करते हैं, इस जोन में प्रचलन में रहने वाली एकल मुद्रा है यूरो। साल 1999 में यूरो की शुरुआत यूरोपीय एकीकरण में एक बहुत बड़ा कदम था: 333 मिलियन से भी अधिक ईयू नागरिक अब इस मुद्रा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यूरो में शामिल होने के लिए किसी देश को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होता है-
1. सरकारी कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 60 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।
2. बजट घाटा जीडीपी के 3 फीसदी से कम होना चाहिए.
3. मुद्रास्फिति और ब्याज दरें कम होनी चाहिए और
4. यूरो के मुकाबले देश की अपनी मुद्रा स्थिर होनी चाहिए।
किस देश ने कब अपनाया यूरो
1999- बेल्जियम, जर्मनी, आयरलैंड, स्पेन, फ्रांस, इटली, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया, पुर्तगाल और फिनलैंड
2001-ग्रीस
2002- यूरो के बैंकनोट और सिक्के शुरु किए गए
2007- स्लोवेनिया
2008- साइप्रस, माल्टा
2009- स्लोवाकिया
2011- एस्टोनिया
2014-लातविया
लिथुआनिया 1 जनवरी 2015 से यूरो मुद्रा को अपनाने वाला 19वां देश बन जाएगा। यूरोपीय संघ आयोग के कन्वर्जेंस रिपोर्ट से इसका पता चला है। कन्वर्जेंस रिपोर्ट में इस बात की जांच की गई कि क्या सदस्य देश यूरो को एकल मुद्रा के रूप में अपनाने वाली शर्तों को पूरा कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, लिथुआनिया यूरो क्लब में दिलचस्पी दिखाने वाले आठ देशों के साथ सभी मानदंडों पर खड़ा उतरा। वे आठ देश हैं- बुल्गारिया, चेक रिपब्लिक, क्रोएशिया, लिथुआनिया, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया और स्वीडन। हालांकि ईयू आयोग ने लिथुआनिया के मुद्रास्फिति की दर को कम रखने के लिए कहा है, लेकिन यह चिंता की बात नहीं है। लिथुआनिया सेंट्रल बैंक के अनुमान के मुताबिक यूरोजोन का हिस्सा नहीं होने के कारण लिथुआनिया को विश्व वित्तीय संकट के दौरान अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उधार लागत में लगभग 2 फीसदी खर्च करना पड़ा। 2014 की कनवर्जेंस रिपोर्ट एक नियमित द्विवार्षिक रिपोर्ट है। ये रिपोर्ट यूरोपीय आयोग और यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा प्रत्येक दो वर्षों में जारी की जाती है। अगर कोई देश यूरो में शामिल होने की इच्छा जाहिर करता है तो यह दो वर्ष से पहले भी जारी की जा सकती है। इस रिपोर्ट के आधार पर फैसला किया जाता है कि सदस्य देश को यूरो जोन में शामिल किया जाए या नहीं।