सामान्य ज्ञान
हेमिस गोंपा लद्दाख का एक प्रमुख त्यौहार है, जो हेमिस मठ में मनाया जाता है। हेमिस मठ 11वीं शताब्दी के पहले से ही अस्तित्व में था, जिसे सन् 1962 में लद्दाख के राजा सेंग्गे नंग्याल द्वारा फिर से बनवाया गया। हेमिस त्यौहार लेह से लगभग 45 किलोमीटर के दूरी पर हेमिस मठ के ही परिसर में हर साल बौद्धिक कैलंडर के अनुसार उनके पांचवे महीने में मनाया जाता है। जो वर्ष 2016 में 14 जुलाई से 15 जुलाई तक मनाया गया।
यह त्यौहार यहां के भगवान पद्मसम्भवा(गुरु ऋंपोचे) को समर्पित है। कहा जाता है कि उनके जीवन का बस एक ही लक्ष्य था, लोगों को अध्यात्म से जोडऩे का। यहां सबसे बड़ी थंका तस्वीर भी है जो आम लोगों के लिए 12 सालों में एक बार प्रदर्शित की जाती है। यहां के निवासी यह मानते हैं की यह त्यौहार उनके अच्छे स्वास्थ्य और धार्मिक शक्ति को बढ़ाता है। त्यौहार के कार्यक्रम मठ के मुख्य द्वार के सामने वाले परिसर में आयोजित की जाती हैं। एक ऊंचे चबूतरे में गद्दे पर रंग बिरंगे तिबत्तन मेज़ को रखा जाता है जिस पर अनुष्ठानिक चीज़ें परोसी जाती हैं, जैसे कि- पवित्र जल के पात्र, कच्चे चावल, टॉरमस(आटे और मक्खन को गूथकर बनाया जाने वाला मिश्रण) और अगरबत्तियां। मास्क नृत्य इसके सामने ही संगीतकारों का एक ग्रुप सांस्कृतिक संगीत प्रस्तुत करता है जिसमें वे चार पैर के करताल, बड़े से ढोल, छोटी तुरही और बड़े से आकर के सुषिर वाद्य यंत्र का प्रयोग करते हैं।