सामान्य ज्ञान
पाताल गंगा एक नदी है, जो मुंबई से करीब सत्तर किलोमीटर दूर रायगड़ जिले में मुंबई-गोवा राजमार्ग पर हरे-भरे वर्षा वन जैसे अंचल में मिलती है। यह पुणे में सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला से खंडाला से कुछ दूरी पर निकलती है और कोंकण अंचल में अरब सागर के धरमतर खाड़ी में अवरा गांव के पास समुद्र में समा जाती है। करीब तीन दशक पहले तक यह नदी इस अंचल के मछुआरों के लिए वरदान बनी हुई थी, पर अब अभिशाप बन गई है। अब उन्हें मछली पकडऩे के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है और उनकी खेती भी चौपट हो गई है।
इसकी वजह है सत्तर के दशक में इस नदी के उद्गम स्थल पर ही कई रासायनिक और दवा बनाने वाले कारखानों का शुरू होना। पाताल गंगा को बचाने के लिए नब्बे के दशक से ही आंदोलन चल रहा है और इसके दबाव में कुछ ठोस कदम भी सरकार ने उठाए हैं। पाताल गंगा प्रदूषण निर्मूलन कृति समिति बनाई गई और महाराष्ट्र की प्रमुख समाजसेवी मंगला बेन पारिख ने इसका नेतृत्व किया। कुछ समय पहले उनका निधन हो गया और अब संतोष ठाकुर इस आंदोलन को संभाल रहे हैं।