सामान्य ज्ञान
बांस का जीवन 1 से 50 वर्ष तक होता है, जब तक कि फूल नहीं खिलते। फूल बहुत ही छोटे, रंगहीन, बिना डंठल के, छोटे छोटे गुच्छों में पाए जाते हैं। सबसे पहले एक फूल में तीन चार, छोटे, सूखे तुष (द्दद्यह्वद्वद्ग) पाए जाते हैं।
साधारणत: बांस तभी फूलता है जब सूखे के कारण खेती मारी जाती है और दुर्भिक्ष या अकाल पड़ता है। शुष्क एवं गरम हवा के कारण पत्तियों के स्थान पर कलियां खिलती हैं। फूल खिलने पर पत्तियां झड़ जाती हैं। बहुत से बांस एक वर्ष में फूलते हैं। ऐसे कुछ बांस नीलगिरि की पहाडिय़ों पर मिलते हैं। भारत में अधिकांश बांस सामूहिक तथा सामयिक रूप से फूलते हैं। इसके बाद ही बांस का जीवन समाप्त हो जाता है। सूखे तने गिरकर रास्ता बंद कर देते हैं। अगले वर्ष वर्षा के बाद बीजों से नई कलमें फूट पड़ती हैं और जंगल फिर हरा हो जाता है। यदि फूल खिलने का समय ज्ञात हो, तो काट छांटकर खिलना रोका जा सकता है। प्रत्येक बांस में 4 से 20 सेर तक जौ या चावल के समान फल लगते हैं। जब भी ये लगते हैं, चावल की अपेक्षा सस्ते बिकते हैं। 1812ई. के उड़ीसा में पड़े अकाल में ये गरीब जनता का आहार तथा जीवन रक्षक रहे।
बांस बीजों से धीरे धीरे उगता है। मिट्टी में आने के प्रथम सप्ताह में ही बीज उगना आरंभ कर देता है। कुछ बांसों में वृक्ष पर दो छोटे छोटे अंकुर निकलते हैं। 10 से 12 वर्षों के बाद काम लायक बांस तैयार होते हैं। भारत में दाब कलम के द्वारा इनकी उपज की जाती है।