विचार / लेख
-ध्रुव गुप्त
'परम सत्ता ने अच्छे-बुरे में फर्क़ करने वाली ज्ञानेन्द्रियां और बुराईयों से बचने की तमीज़ हमें दी है। सफलता उसे मिलेगी जिसने अपनी आत्मा को पवित्र और विस्तृत कर लिया। वह जिसने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ दबा दी उसके हिस्से में असफलता के सिवा और कुछ नहीं आने वाला।'
'विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद मत खोएं और दुखी न हों। यह दुनिया आपका विश्राम-स्थल नहीं, परीक्षण-स्थल है।'
'रहमदिली ईमान की निशानी है। जिसमें रहम नहीं उसमें ईमान नहीं। जो दूसरे के प्रति रहम दिल होते हैं अल्लाह भी उनकी मदद करता है।'
'जिसने किसी बेगुनाह इंसान को मार डाला उसने मानो पूरी इंसानियत का क़त्ल कर दिया। जिसने किसी बेगुनाह की जान बचा ली उसने पूरी इंसानियत को बचा लिया।'
'तुम तब तक जन्नत में प्रवेश नहीं कर सकोगे जब तक ईमान नहीं लाओगे और तुम्हारा ईमान तबतक पूरा नहीं होगा जब तक तुम परस्पर प्यार न करोगे।'
'अल्लाह ने आप में से हरएक के लिए कानून और उस पर अमल करने के तरीक़े बनाए हैं। वह सबको एक ही समुदाय बना सकता था, लेकिन वह यह देखना चाहता है कि आप अलग विचारों के साथ कैसे रह पाते हैं। इसलिए आप सिर्फ अच्छा काम करने में एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करें।'
पवित्र कुरआन के उपरोक्त संदेशों के साथ आतंक, धर्मोन्माद और ग़ैरबराबरी से आक्रान्त इस वक़्त में आपसी भाईचारे, प्रेम और मानवीयता से भरी एक बेहतर दुनिया की दुआओं सहित देशवासियों को ईद की मुबारक़बाद !
तस्वीर फ़रीद आलम के फ़ेसबुक पेज से