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अमरीकी राष्ट्रपति रेस के रिपब्लिकन नेता विवेक रामास्वामी के सात चर्चित एजेंडे
29-Sep-2023 4:04 PM
अमरीकी राष्ट्रपति रेस के रिपब्लिकन नेता  विवेक रामास्वामी के सात चर्चित एजेंडे

  गैरेथ इवान्स

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर उम्मीदवारों की दौड़ में शामिल भारतीय मूल के 38 साल के अरबपति कारोबारी विवेक रामास्वामी अपने एजेंडे को लेकर इन दिनों चर्चा में हैं।

बच्चों के लिए लत लगने वाले सोशल मीडिया को बंद करने से लेकर एफ़बीआई को बंद करना उनके एजेंडे में है।

रिपब्लिकन उम्मीदवारों के बीच दूसरे राउंड की बहस में उन्होंने कहा कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए लत लग जाने वाले सोशल मीडिया के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं होनी चाहिए।

बायोटेक बिजनेस से जुड़े रहे विवेक रामास्वामी का कोई पूर्व राजनीतिक अनुभव नहीं है और वो ट्रंप के ‘अमेरिका फस्र्ट’ एजेंडे को ही अपना पर्सनल टच देकर इसे एजेंडा बनाना चाहते हैं।

और इसके लिए उन्होंने कुछ अजीबो गरीब सुझाव दिए हैं। मुख्य रूप से उन्होंने सात एजेंडे पेश किए हैं। आइए जानते हैं उनके एजेंडों के बारे में।

1.बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल को बैन करना

रामास्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और उनके प्रोडक्ट को ‘लत लगाने वाला’ बताते हुए आलोचना की। हाल ही में उन्होंने टिक टॉक को ‘डिजिटल फेंटानिल’ तक कहा। उन्होंने कहा, ‘इन्हें इस्तेमाल करने वाले 12-13 साल के बच्चों पर क्या असर होता होगा, इसे लेकर मैं चिंतित हूं।’

रिपब्लिकन डिबेट के दूसरे चरण में उन्होंने बच्चों द्वारा सोशल मीडिया इस्तेमाल पर बैन लगाने की बात कही ताकि ‘देश की मानसिक सेहत को सुधारा’ जा सके। लेकिन रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वियों ने रामास्वामी की आलोचना की क्योंकि कुछ दिन पहले ही वो टिक टॉक से जुड़े थे।

2. एच-1बी वीजा प्रोग्राम का अंत होना चाहिए

विवेक रामास्वामी ने कहा कि वो चाहते हैं कि एच-1बी वीज़ा प्रोग्राम ख़त्म हो। अमेरिका में विदेशी कुशल कर्मचारियों को भर्ती करने के लिए नियोक्ताओं द्वारा इस प्रोग्राम का इस्तेमाल किया जाता है।

यह वीजा प्रोग्राम विशेष कुशलता और शिक्षा वाले लोगों के लिए खुला होता है और नियोक्ता के जॉब ऑफर से जुड़ा होता है। ये विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में छह साल तक रहने और काम करने की वैधता देता है, जिसके बाद इसे नवीकरण किया जा सकता है।

ये बहुत लोकप्रिय है और 2024 के लिए अमेरिकी व्यावसायिक घरानों ने 7 लाख 80 हजार वीजा जरूरतों की मांग की है।

हाल ही में अपने एक बयान में रामास्वामी ने एच-1बी वीजा की तुलना ‘गिरमिटिया कामगारों’ से की जो कंपनी के लाभ के लिए काम करते हैं।

इस बयान पर उनकी आलोचना हुई क्योंकि अपने फार्मास्युटिकल कंपनी रोईवैंट साइंसेज़ में भर्ती करने के लिए इसी प्रोग्राम का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि अगर वो जीतते हैं तो वीजा प्रोग्राम में आमूलचूल बदलाव करेंगे। यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज की वेबसाइट से पता चलता है कि रोईवैंट साइंसेज ने 2018 से इस वीजा प्रोग्राम के तहत 12 वीजा का आवेदन किया था।

3. वोटिंग की उम्र बढ़ानी चाहिए

रामास्वामी का कहना है कि वोट देने की न्यूनतम उम्र को बढ़ाकर 25 साल किया जाना चाहिए।

उनका प्रस्ताव है कि 18 साल तक के लोगों को भी वोट का अधिकार तभी मिले जब वो ‘राष्ट्रीय सेवा जरूरतों’ की शर्त पूरा करते हों। यानी या तो वो इमरजेंसी में मददगार हुए हों या सेना में छह महीने की सेवा दे चुके हों।

उन्होंने ये भी कहा कि 18 साल के उन लोगों को वोट देने का अधिकार देना चाहिए जो अमेरिकी नागरिकता वाला टेस्ट पास कर लें।

लेकिन समस्या ये है कि वोटिंग की उम्र बढ़ाने का मतलब है संविधान में बदलाव, यानी कांग्रेस में दो तिहाई बहुमत होना चाहिए।

4. यूक्रेन युद्ध ख़त्म करने के लिए

रूस को छूट देनी चाहिए

रामास्वामी का मानना है कि रूस यूक्रेन युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने के लिए रूस को कुछ बड़ी छूट देनी चाहिए।

उन्होंने जून में एसीबी न्यूज से कहा था कि कोरियाई युद्ध की तरह एक ऐसा समझौता होना चाहिए जिसमें दोनों पक्षों को अपने अपने नियंत्रण वाले इलाकों पर वैधता दे दी जाए।

उनका मानना है कि अमेरिकी सेना के लिए सबसे बड़ा ख़तरा चीन-रूस गठबंधन और नेटो में यूक्रेन के न शामिल होने का स्थाई आश्वासन है। लेकिन इसके बदले रूस को अपने गठबंधन और चीन के साथ सैन्य समझौते से पीछे हटना होगा। उनके अनुसार, रूस के खिलाफ यूक्रेन को अधिक हथियार देना, रूस को चीन के हाथों में धकेलने जैसा है।

5. नेशनल अबॉर्शन प्लान नहीं होना चाहिए

रामास्वामी अबॉर्शन यानी गर्भपात पर संघीय सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने का समर्थन नहीं करते क्योंकि उनके शब्दों में ‘संघीय सरकार को इससे अलग रहना चाहिए।’

हालांकि उन्होंने राज्य स्तर पर छह हफ्ते के भ्रूण की शल्यक्रिया के मामले में प्रतिबंध की वकालत की।

सीएनन को उन्होंने बताया था, ‘अगर हत्या के कानून राज्य स्तर पर तय होते हैं और अबॉर्शन एक किस्म की हत्या ही है, तो इस मामले में संघीय कानून की कोई जरूरत नहीं है।’

6. एफ़बीआई को ख़त्म कर देना चाहिए

रामास्वामी कई संघीय विभागों को बंद करने की योजना भी रखते हैं। जैसे शिक्षा विभाग, परमाणु नियामक आयोग, घरेलू राजस्व सेवा और एफबीआई आदि।

एनबीसी न्यूज से उन्होंने कहा, ‘अधिकांश मामले में ये एजेंसियां बेकार हो चुकी है और इनकी जगह कई अन्य विभाग काम करते हैं।’

उन्होंने पुनर्गठन का सुझाव दिया जिसमें एफ़बीआई की फंडिंग को सीक्रेट सर्विस, फ़ाइनेंशियल क्राइम्स एनफोर्समेंट नेटवर्क और डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी में बांटा जाए।

रिपब्लिकन उम्मीदवारों की दौड़ में शामिल पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप एफबीआई पर उनके खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई करने के आरोप लगाते रहे हैं।

जून में फॉक्स न्यूज पोल में पता चला कि रिपब्लिकन लोगों में एफबीआई को लेकर भरोसा कम कऱीब 20 प्रतिशत तक कम हुआ है।

7.सरकार ने 9/11 के बारे में झूठ बोला

‘द अटलांटिक मैगज़ीन’ में रामास्वामी ने कहा था कि 9/11 पर सरकार ने झूठ बोला था। इसे लेकर उनकी काफी आलोचना हुई।

उन्होंने कहा, ‘ये कहना वैध है कि ट्विन टॉवर्स पर जिन विमानों ने हमला किया उसे लेकर कितनी पुलिस थी, कितने संघीय एजेंट थे। शायद एक भी नहीं।’

एक आधिकारिक आयोग ने 2004 में एक अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें 9/11 की घटना का पूरा ब्योरा दिया लेकिन किसी सरकारी साजिश का इसमें कोई सबूत नहीं मिला।

बाद में रामास्वामी ने मैगजीन पर ही बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किए जाने का आरोप लगा दिया। इस पर ‘द अटलांटिक’ ने उस साक्षात्कार का पूरा ऑडियो जारी कर दिया, जिससे पता चला कि उनके बयान को सटीकता के साथ लिखा गया था। (bbc.com/hindi)

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