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चुनाव आयोग बनाम जयराम रमेश, ‘ठोस सबूत न मिला तो कार्रवाई’
04-Jun-2024 2:43 PM
चुनाव आयोग बनाम जयराम रमेश, ‘ठोस सबूत न मिला तो कार्रवाई’

मतगणना प्रक्रिया को प्रभावित करने के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश को नोटिस भेजकर सोमवार, 3 जून की शाम सात बजे से पहले जवाब देने को कहा है।

जयराम रमेश ने एक जून को आरोप लगाया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मतगणना से पहले जिलाधिकारियों को फोन कर धमका रहे हैं।

इसपर आयोग ने उन्हें रविवार को नोटिस भेजते हुए कहा था, ‘आचार संहिता के दौरान सभी अधिकारियों को चुनाव आयोग को रिपोर्ट करना होता है और वो सिर्फ चुनाव आयोग के आदेश पर काम करते हैं। जो आरोप आपने लगाए हैं वैसी कोई रिपोर्ट किसी भी जिलाधिकारी ने नहीं की है। मतगणना की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है और पब्लिक में दिए गए आपके बयान संदेह पैदा कर रहे हैं। पब्लिक के हित के लिए इन पर संज्ञान लेना ज़रूरी है।’

नोटिस के जवाब में जयराम रमेश ने एक हफ़्ते का समय मांगा था।

लेकिन चुनाव आयोग ने जयराम रमेश की इस अपील को सोमवार को ख़ारिज करते हुए कहा कि ‘वो अपने अरोपों के पक्ष में सबूत या आंकड़े पेश करें और आज यानी तीन जून की शाम सात बजे तक जवाब दें।’

आयोग के अनुसार, ‘अगर जवाब नहीं मिला तो माना जाएगा कि मामले में कहने के लिए आपके पास कुछ ठोस नहीं है और आयोग उपयुक्त एक्शन लेने के लिए आगे की कार्रवाई करेगा।’

इसमें चुनाव आयोग ने जयराम रमेश के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है और कहा है कि किसी भी डीएम पर ग़लत दबाव डालने की कोई कोशिश प्रकाश में नहीं आई है।

जयराम रमेश का आरोप

जयराम रमेश ने शनिवार शाम को एक्स पोस्ट में दावा किया था, ‘निवर्तमान गृह मंत्री आज सुबह से जि़ला कलेक्टर्स से फोन पर बात कर रहे हैं। अब तक 150 अफसरों से बात हो चुकी है। अफसरों को इस तरह से खुल्लम खुल्ला धमकाने की कोशिश निहायत ही शर्मनाक है एवं अस्वीकार्य है।’

उन्होंने लिखा, ‘याद रखिए कि लोकतंत्र जनादेश से चलता है, धमकियों से नहीं। जून 4 को जनादेश के अनुसार श्री नरेन्द्र मोदी, श्री अमित शाह व भाजपा सत्ता से बाहर होंगे एवं इंडिया गठबंधन विजयी होगा। अफ़सरों को किसी प्रकार के दबाव में नहीं आना चाहिए व संविधान की रक्षा करनी चाहिए। वे निगरानी में हैं।’

इंडिया गठबंधन के नेताओं की चुनाव आयोग से मुलाकात

रविवार, 2 जून को इंडिया गठबंधन के नेताओं ने चुनाव आयोग से मुलाकात की है।

इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, डीएमके के टीआर बालू, वाम दल की तरफ से सीताराम येचुरी, डी राजा के अलावा कई नेता शामिल थे।

विपक्षी दलों के नेताओं ने चुनाव आयोग के सामने ईवीएम काउंटिंग, पोस्टल बैलेट और चुनाव नतीजों से जुड़े मुद्दों को सामने रखा।

चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘पहला मुद्दा-पोस्टल बैलेट का है, जो एक जानी-मानी प्रक्रिया है। पोस्टल बैलेट परिणाम में निर्णायक साबित होते हैं, इसलिए चुनाव आयोग का एक प्रावधान है जिसके अंतर्गत कहा है कि पोस्टल बैलेट की गिनती पहले की जाएगी।’

उन्होंने कहा, ‘हमारी शिकायत थी कि चुनाव आयोग ने 2019 की गाइडलाइन से इसे हटा दिया है, इसका परिणाम यह है कि ईवीएम की पूरी गणना हो जाए उसके बाद अंत तक भी पोस्टल बैलेट की गिनती की घोषणा करना अनिवार्य नहीं रहा है। यह जरूरी है कि पोस्टल बैलेट जो निर्णायक साबित होता है उसकी गिनती पहले करना अनिवार्य है।’

इसके अलावा नेताओं ने वोटों की गिनती के समय सख्त निगरानी रखने की मांग भी की है।

शिवसेना (यूबीटी) ने उठाए सवाल

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग के बारे में लोगों के मन में बहुत शंकाएं हैं। चुनाव आयोग एक न्यूट्रल बॉडी है। संवैधानिक संस्था है, लेकिन जिस तरह से बार बार विपक्षी दलों को चुनाव आयोग के सामने जाकर हाथ जोडऩा पड़ता है, कुछ बातें सामने लानी पड़ती हैं और चुनाव आयोग भी सुना अनसुना करता है। ये निष्पक्ष संस्था के लक्षण नहीं हैं।’

संजय राउत ने कहा, ‘पीएम चुनाव के दिन ध्यान के लिए बैठते हैं और चैनलों का पूरा फोकस उनके पास आता है। एक प्रकार से यह चुनाव संहिता का उल्लंघन है। जयराम रमेश जी ने कहा कि देश के गृह मंत्री देश के 150 कलेक्टर्स और डीएम को फोन करके जो सूचना देते हैं, यह कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है। पोलिंग एजेंट्स को जिस तरह से रोका गया, ये भी ठीक नहीं है। ये पहले नहीं हुआ।’

उन्होंने कहा, ‘इस देश में चुनाव आयोग को कहना पड़ता है कि आप एक स्वतंत्र संस्था हैं। आप समझ लीजिए। आप किसी के गुलाम नहीं हैं। चाहे बीजेपी हो या फिर कोई दूसरी सत्ताधारी पार्टी होज्चुनाव आयोग बीजेपी की शाखा की तरह का काम कर रही है। इसलिए इस देश का लोकतंत्र दस सालों से खतरे में आया है।’

आम आदमी पार्टी ने क्या कहा?

आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष संस्था की तरह काम नहीं कर रहा है।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग कोई व्यंग रचनाकार नहीं है। वह कोई कवि सम्मेलन का मंच नहीं है। वह एक गंभीर संस्था है। उसकी एक गंभीर जिम्मेदारी है। उन्हें कुछ प्रश्नों का जवाब देना चाहिए। पूरे देश का चुनाव आप संपन्न करा रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों के प्रति आपकी जवाबदेही हैज्आपको एक निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए तनख्वाह मिलती है। अगर आपसे कोई प्रश्न पूछ रहा है तो आप व्यंग क्यों मार रहे हैं। उसका समाधान करिए ना।’

उन्होंने कहा, ‘आप समाधान करने बैठे हैं या कवि सम्मेलन चलाने के लिए बैठे हैं। व्यंग कर रहे हैं। हास्य कर रहे हैं। आपकी जिम्मेदारी है। आपने खुद 2009 में नियम बनाए। उनमें क्यों बदलाव किया जा रहा है। संभवत इस बार हम लोगों को चार प्रतिशत पोस्टल बैलेट हैं। उनकी गिनती अंतिम राउंड की ईवीएम से पहले घोषित होनी चाहिए। इतनी सी बात है।’

संजय सिंह ने कहा, ‘एक राजनीतिक पार्टी के नेता की तरह बात नहीं करनी चाहिए चुनाव आयोग को। वो किसी राजनीतिक पार्टी के नेता नहीं है। उनकी जिम्मेदारी है चुनाव को निष्पक्ष संपन्न कराना।’

संजय सिंह के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जवाब देते हुए कहा, ‘पोस्टल बैलेट की जो स्कीम है। उसका रूल हैज् यह 1964 में लागू हुआ। उस समय में बहुत सारे पोस्टर पैलेट नहीं थे। उस समय में सीनियर सिटीजन, पीडब्ल्यूडी नहीं थे। धीरे धीरे यह संख्या बढ़ रही हैज्जरूरी सेवाओं वालों को मिलनी चाहिए, जो हमने किया भी।’

उन्होंने कहा, ‘रूल साफ कहता है कि पोस्टल बैलेट की गिनती पहले शुरू होगी। देश के सभी सेंटर पर यह सबसे पहली शुरू होगी। इसमें कोई शक नहीं है। इसके आधे घंटे के बाद ईवीएम की काउंटिंग शुरू होती है। एक साथ तीन तरह की काउंटिंग चलती है। ये 2019 में हुआ। ये 2022 के चुनावों में भी हुआ। ये कल अरुणाचल और सिक्किम में हुआ। हम बीच में इसे नहीं बदल सकते हैं।’

राजीव कुमार ने कहा, ‘रूल कहता है कि तीनों काउंटिंग शुरू होगी और निर्विरोध रूप से आखिर तक चलती रहेंगी।’ (bbc.com/hindi)

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