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मतगणना के दौरान भी कर्मचारियों को गर्मी से बचाना एक चुनौती
04-Jun-2024 2:47 PM
मतगणना के दौरान भी कर्मचारियों को गर्मी से बचाना एक चुनौती

उत्तर भारत में इस समय भीषण गर्मी और लू का प्रकोप जारी है. गर्मी और लू की चपेट में सातवें और अंतिम चरण के मतदान में लगे सैकड़ों कर्मचारी भी आ गए. देश के अलग-अलग हिस्सों में कई लोगों की मौत हो गई.

 
 

  डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र का लिखा-  

लोकसभा चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब लोगों को चार जून का इंतजार है जब मतगणना होगी और परिणाम आएंगे। लेकिन चुनाव का आखिरी चरण चुनावी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों और सुरक्षा बलों के लिए काफी जानलेवा साबित हुआ। यूपी समेत देश के कई राज्यों में चुनावी ड्यूटी में तैनात दर्जनों लोगों की मौत हो गई और बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों में भर्ती हैं।

उत्तर प्रदेश में पिछले करीब एक हफ्ते में चुनाव ड्यूटी पर तैनात 33 लोगों समेत करीब 58 लोगों की भीषण गर्मी के कारण मौत हो गई। इसके अलावा बिहार, ओडिशा और मध्य प्रदेश में भी कई लोगों की मौत हुई हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने मौतों की पुष्टि की और कहा कि मृतकों में होमगार्ड, सफाई कर्मचारी और अन्य मतदान कर्मचारी थे जो दिन भर चलने वाली वोटिंग प्रक्रिया के दौरान ड्यूटी पर थे।

मतदान एक दिन पहले उत्तर प्रदेश में 15 मतदानकर्मियों की मौत की खबर सामने आई थी। यूपी में आखिरी चरण के मतदान के लिए कुल 1,08,349 मतदान कर्मियों को तैनात किया गया था। रिनवा ने कहा कि जिन कर्मचारियों की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई है उन्हें 15 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की प्रक्रिया चल रही है।

बिहार में भी चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मियों की मौत की खबर है। यहां मतदान के दिन ही 14 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 10 अन्य लोगों की भी मौत हुई है। हालांकि बताया यह भी जा रहा है कि ये संख्या बढ़ सकती है। बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, सबसे अधिक मौतें भोजपुर में हुईं, जहां चुनाव ड्यूटी पर तैनात पांच कर्मचारियों की मौत हीटस्ट्रोक की वजह से हुई। इसके अलावा रोहतास, कैमूर और औरंगाबाद में भी मौतों की खबर है।

वहीं, ओडिशा में आपदा प्रबंधन अधिकारियों के मुताबिक, गर्मी से संबंधित बीमारी के कारण मरने वालों की संख्या 54 हो गई है। ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त सत्यब्रत साहू ने मीडिया को बताया कि 15 मई के बाद से अब तक लू की वजह से 96 लोगों की मौत हो चुकी है। मतदान के आखिरी चरण में तैनात कई मतदान कर्मियों की भी मौत हुई है।

उत्तर प्रदेश में चुनावी ड्यूटी में लगे सबसे ज्यादा कर्मचारियों की मौत मिर्जापुर में हुई है। डयूटी पर तैनात कई मतदानकर्मियों और होमगार्ड्स को मतदान से ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को तेज बुखार और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत के बाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था जहां 13 लोगों की मौत हो गई। मिर्जापुर के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के मुताबिक, मरने वालों में सभी लोग पचास साल से ज्यादा की उम्र के थे।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर राजबहादुर कमल ने मीडिया को बताया कि जब ये मरीज मेडिकल कॉलेज आए तो उन्हें तेज बुखार, उच्च रक्तचाप और के अलावा शुगर लेवेल बढऩे की शिकायत थी।

चार जून को मतगणना के दौरान भी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों को गर्मी से बचाना एक बड़ा टास्क है। क्योंकि गर्मी और लू में अभी भी कोई कमी नहीं आई है। मिर्जापुर में राजकीय पॉलीटेक्निक में बने स्ट्रॉन्ग रूम में तैनात कर्मचारियों में इस बात को लेकर बड़ा खौफ है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि कूलर और पेयजल के इंतजाम किए गए हैं लेकिन इसके बावजूद मतगणना में तैनात कर्मचारी भयभीत हैं।

एक जून को मिर्जापुर में मतदान में तैनात एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर सुविधाओं के बारे में बात की। कर्मचारी का कहना था, "जहां से पोलिंग पार्टी रवाना हो रही थी, वहां कोई इंतजाम नहीं थे। शेड भी नहीं था। उसके बाद जब हम लोग बसों में बैठे तो लगा जैसे आग बरस रही हो। पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं थी, सिवाय दो टैंकरों के। और उन टैंकरों का पानी इतना गरम था कि हाथ तक झुलस जाए। बसों के इंतजार में ही घंटों धूप में तपना पड़ा। ऐसे में लोग मरेंगे नहीं तो और क्या होगा।’

हीटवेव की वजह से यूपी समेत देश भर में कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यूपी के कानपुर में दो दिन पहले एक ही दिन में तीस से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में यहां के पोस्टमार्टम हाउस में पहुंचने वाले शवों की संख्या काफी बढ़ गई है। शनिवार को पोस्टमॉर्टम हाउस में 32 ऐसे लोगों का शव आया जो शहर के अलग-अलग जगहों से मिले थे।

कैसे हैं सरकार के इंतजाम

गर्मी से बचने के लिए सरकार की तरफ से कई तरह के निर्देश दिए गए हैं और जगह-जगह पीने के पानी और शेड यानी छाये की व्यवस्था की गई है। लेकिन विकास के नाम पर कट रहे पेड़ों की वजह से शहरों में पेड़ों की छाया भी कम होती जा रही है। बढ़ती गर्मी की एक बड़ी वजह भी यही है। डॉक्टरों का कहना है कि इसका सबसे ज्यादा प्रभाव उन लोगों पर पड़ता है जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है।

दिल्ली के एक अस्पताल प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर हरिओम कहते हैं, ‘तापमान बहुत ज्यादा बढऩे की वजह से शरीर से पसीना नहीं निकल पाता, हीट रेग्युलेशन नहीं हो पाता जिससे शरीर के अंदर का टेम्प्रेचर बढ़ जाता है। टेम्प्रेचर ज्यादा होने से मल्टीऑर्गन फेल्योर की स्थिति पैदा हो जाती है। जिन्हें बीपी, शुगर इत्यादि की शिकायत रहती है या दूसरी बीमारियां होती हैं तो उनके लिए ये गर्मी और घातक हो जाती है।’

(डॉयचे वैले)

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