सामान्य ज्ञान
कृष्ण उपनिषद उपनिषदों में एक अथर्ववेदीय उपनिषद है। यह एक परवर्ती उपनिषद है। जिसमें कृष्ण का दार्शनिक रूप व्याख्यात हुआ है।
वैष्णव सम्प्रदाय में इसका विशेष आदर है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत: वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है। उपनिषदों के रचनाकाल के सम्बन्ध में विद्वानों का एक मत नहीं है। कुछ उपनिषदों को वेदों की मूल संहिताओं का अंश माना गया है। ये सर्वाधिक प्राचीन हैं। कुछ उपनिषद ‘ब्राह्मण’ और ‘आरण्यक’ ग्रन्थों के अंश माने गए हैं। इनका रचनाकाल संहिताओं के बाद का है। उपनिषदों के काल के विषय मे निश्चित मत नही है समान्यत उपनिषदो का काल रचनाकाल 3000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व माना गया है। उपनिषदों के काल-निर्णय के लिए निम्न मुख्य तथ्यों को आधार माना गया है— पुरातत्व एवं भौगोलिक परिस्थितियां, पौराणिक अथवा वैदिक ऋषियों के नाम, सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राजाओं के समयकाल और उपनिषदों में वर्णित खगोलीय विवरण।