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भारतीय रिजर्व बैंक के चर्चित 11 गवर्नर
22-Jun-2020 12:25 PM
भारतीय रिजर्व बैंक के चर्चित 11  गवर्नर

भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना 1 अप्रैल सन 1935 को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई। वर्ष 1935 से लेकर अब तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद 23 हस्तियां संभाल चुकी हैं। आइए, आपको मिलवाते हैं इनमें से 11 गवर्नरों से, जो किसी न किसी मामले को लेकर चर्चा में रहे-
 1. सर ऑसबॉर्न स्मिथ- 20 साल तक बैंक ऑफ न्यू साउथ वेल्स और 10 साल तक कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया में काम करने वाले प्रोफेशनल बैंकर स्मिथ 1926 में भारत आए और इम्पीरियल बैंक के मैनेजिंग गवर्नर नियुक्त किए गए। 1 अप्रैल 1935 को ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें आरबीआई का पहला गवर्नर नियुक्ति किया। उन्होंने सवा 2 साल तक यह पद संभाला। उनका कार्यकाल 30 जून 1937 को समाप्त हो गया। अपने कार्यकाल में उन्होंने किसी भारतीय मुद्रा पर दस्तखत नहीं किए।
2. जेम्स ब्रेड टेलर- टेलर ने 1 जुलाई 1937 को आरबीआई के दूसरे गवर्नर के तौर पर पदभार ग्रहण किया। वे अपनी मृत्यु (17 फरवरी 1943) तक इस पद पर बने रहे। भारतीय रुपये पर पहली बार बतौर गवर्नर जेम्स ब्रेड टेलर ने ही दस्तखत किए। वह भारतीय सिविल सेवा के भी अधिकारी थे। उन्होंने एक दशक तक तत्कालीन अंग्रेजी शासन के करंसी डिपार्टमेंट में डिप्टी कंट्रोलर का पद भी संभाला।
3. सी डी देशमुख- ब्रिटिश शासन की ओर से पहले भारतीय आरबीआई गवर्नर के रूप में चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख को नियुक्त किया गया। वह 11 अगस्त 1943 से 30 जून 1949 तक इस पद पर रहे। देशमुख 1950 से 1956 तक केंद्रीय कैबिनेट में वित्त मंत्री भी रहे। कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद उन्हें यूजीसी का चेयरमैन भी बनाया गया। 1956-1961 तक इस पद पर रहने के दौरान ही उन्होंने 1959 में इंडिया इंटरनैशनल सेंटर की स्थापना की। इसके बाद वह 1962 से 67 तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रहे।
4. बेनेगल रामा राव- चैन्नई (मद्रास) के प्रेजिडेंसी कॉलेज और कैम्ब्रिज के किंग्स कॉलेज से पढ़ाई करने वाले बेनेगल राव ने 1 जुलाई 1949 को आरबीआई गवर्नर का पद संभाला। वह 14 जनवरी 1957 तक इस पद पर बने रहे। वह भारतीय सिविल सेवा (1919) के अधिकारी थे। राव देश के इतिहास में सबसे लंबे समय (7 साल 197 दिन) तक आरबीआई गवर्नर रहे।
5. एल के झा- आरबीआई के 8वें गवर्नर लक्ष्मी कांत झा 1 जून 1967 से 3 मई 1970 तक इस पद पर रहे। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्र रहे श्री झा पहले ऐसे आरबीआई चीफ थे, जिन्होंने भारतीय रुपये के नोट पर हिंदी में भी हस्ताक्षर किए। 1969 में महात्मा गांधी की जयंती पर पहली बार 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये और 100 रुपये के नोट हिंदी में हस्ताक्षर के साथ सामने आए।
6. आई जी पटेल- इंद्राप्रसाद गोवर्धनभाई पटेल 1 दिसंबर 1977 से 15 सितंबर 1982 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्रालय सौंपने का विचार किया, लेकिन पटेल ने यह ऑफर ठुकरा दिया। उसी साल उन्हें अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
7. डॉ. मनमोहन सिंह- देश के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक आरबीआई के गवर्नर रहे हैं। पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह 1972 से 1976 तक मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रह चुके हैं।
8. अमिताभ घोष- रिजर्व बैंक के अब तक के इतिहास में घोष सबसे कम, 20 दिनों तक गवर्नर रहे हैं। इससे पहले अमिताभ इलाहाबाद बैंक के चेयरमैन और आईडीबीआई बैंक के डायरेक्टर भी रह चुके हैं।
9. बिमल जालान- पूर्व राज्यसभा सांसद बिमल जालान 22 नवंबर 1997 से 6 सितंबर 2003 तक आरबीआई के चेयरमैन रहे। 1997 में जब उन्होंने पद संभाला, उस समय दुनिया साउथ ईस्ट एशिया करंसी क्राइसिस से जूझ रही थी। भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं थी। अपने योग्य नेतृत्व से इन्होंने भारत को इस संकट का शिकार होने से बचाया।
10. डी. सुब्बाराव- एक भारतीय अर्थशास्त्री और बैंकर दुव्वरी सुब्बाराव 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013 तक आरबीआई के 22वें गवर्नर रहे। उनके कार्यकाल के दौरान वैश्विक मंदी की शुरुआत हुई। उनके नेतृत्व में ही इस कठिन दौर में रिजर्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को इस समस्या से बचाने के लिए सरकार तथा अन्य वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के साथ मिलकर बेहतर तालमेल बिठाते हुये काम किया।
11. रघुराम गोविंद राजन- 4 सितंबर 2013 को डी. सुब्बाराव के रिटायर होने के बाद राजन को आरबीआई का 23वां गवर्नर बनाया गया। इससे पहले वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रमुख आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं। साल 2003 से 2006 तक वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख अर्थशास्त्री और अनुसंधान निदेशक रहे। उन्होंने भारत में वित्तीय सुधार के लिए योजना आयोग द्वारा नियुक्त समिति का नेतृत्व भी किया। राजन ने भारतीय वित्त मंत्रालय, वल्र्ड बैंक, फेडरल रिजर्व बोर्ड और स्वीडिश संसदीय आयोग के सलाहकार के रूप में भी काम किया है। वे शिकागो यूनिवर्सिटी में बूथ स्कूल ऑफ बिजनस में प्रोफेसर भी थे  और आरबीआई गवर्नर के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद वे वापस शिकागो जाने का मन बना चुके हैं। रघुराम संभवत: देश के पहले ऐसे आरबीआई गवर्नर हैं, जिनका जाना इतनी सुर्खियां बटोर चुका है।
 

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