सामान्य ज्ञान

महर्षि पतंजलि
09-Jul-2020 12:55 PM
महर्षि पतंजलि

महर्षि पतंजलि  योगसूत्र के रचनाकार है जो हिन्दुओं के छ: दर्शनों ( न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदान्त) में से एक है। भारतीय साहित्य में पतंजलि   के लिखे हुए 3 मुख्य ग्रन्थ मिलते हंै- योगसूत्र,   अष्टाध्यायी पर भाष्य, और  आयुर्वेद पर ग्रन्थ। 
 कुछ विद्वानों का मत है कि ये तीनों ग्रन्थ एक ही व्यक्ति ने लिखे, अन्य की धारणा है कि ये विभिन्न व्यक्तियों की कृतियां हैं। इनका काल कोई 200 ई पू माना जाता है। शरीर की शुद्धि के लिए वैद्यक शास्त्र का,  वाणी की शुद्धि के व्याकरण शास्त्र का और चित्त की शुद्धि के लिए योग शास्त्र का प्रणयन करने वाले महर्षि पतंजलि का जन्म माता गोणिका से हुआ था। ये गोनर्द देश में निवास करते थे । उन्होंने योगदर्शन के अतिरिक्त पाणिनि के व्याकरण (अष्टाध्यायी) पर महाभाष्य निर्मित किया। 
भगवान शेष ने उसी समय अथर्ववेद से आयुर्वेद प्राप्त कर लिया, जब श्री हरि ने मस्त्य अवतार धारण करके वेदों का उद्धार किया। भगवान अनन्त गुप्त रूप से पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे। मनुष्यों तथा दूसरे प्राणियों को शारीरिक एवं मानसिक रोगों एवं कष्टों से पीड़ा पाते देख प्रभु को दया आयीं वे पृथ्वी पर अवतीर्ण हुए। उन्होंने शारीरिक व्याधि की निवृत्ति के लिये आयुर्वेद को प्रकट किया। क्योंकि वे चर की तरह पृथ्वी पर पहले आये थे। आयुर्वेदकर्ता के रूप में उनका नाम  चरक  हुआ। उन्हीं भगवान अनन्त ने  पतंजलि  नाम से योगदर्शन और महाभाष्य का निर्माण किया।  चरक   ने आयुर्वेद में आत्रेय ऋषि की परम्परा का प्रतिपादन किया है। 
आत्रेय मुनि के शिष्य अग्निवेश ने आयुर्वेद पर अनेक ग्रन्थों का निर्माण किया था। उन सबका सारतत्व चरक संहिता में संकलित हुआ। इससे चरक संहिता के अन्त में उसके कर्ता अग्निवेश कहे गये हैं। भाव प्रकाश के कर्ता ने भी भगवान चरक को चिकित्सा-ज्ञान का संकलन कर्ता बताया है। कात्यायन के वार्ति्तकों के पश्चात महर्षि पतञ्जलि ने पाणिनीय अष्टधायी पर एक महती व्याख्या लिखी, जो महाभाष्य के नाम से प्रसिद्ध है। 
 

 

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