सामान्य ज्ञान
कम्प्यूटर गेम आज भी लोकप्रिय हैं। हॉट पैन्ट्स, रकसैक और 9 एमएम वाली दो पिस्तौलों के साथ लारा क्रॉफ्ट टूम्ब रेडर में काफी मशहूर हुईं। 1994 में टोबी गैर्ट ने आर्कियोलॉजिस्ट का कैरेक्टर बनाया। यह दुनिया घूमने की दीवानी थी। वर्ष 2001 और 2003 में लारा क्रॉफ्ट की भूमिका एजेंलीना जोली ने एक फिल्म में निभाई। वर्ष 1993 में डूम के साथ कंप्यूटर गेम की दुनिया में क्रांति आ गई। 3डी ग्राफिक और डॉल्बी साउंड के साथ यह खेल सच्चे दिखने लगे। मंगल पर एलियनों और राक्षसों के खिलाफ किशोर रात- रात भर अंधेरे कमरों में लड़ते रहे।
नए कंप्यूटर गेम तेजी से कलात्मक दिखने लगी। किरदार सच्चाई के नजदीक आ गए। बारीक बातों का ध्यान रखा जाने लगा। मेडल ऑफ ऑनर: वॉर फाइटर के इस खेल में सैनिक के चेहरे पर जंग का असर साफ दिखता है। भले ही यह खेल भयानक हो लेकिन ग्राफिक की बारीकी शानदार है। सुपर स्टार मेसी लगातार आगे बढ़ रहे हैं। फीफा के गेम्स का ताजा संस्करण भी तैयार कर लिया गया। इसमें अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी कंप्यूटर स्क्रीन पर उतर आए। हर खिलाड़ी के खेलने के तरीके को कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर में ढाल दिया गया। खेल सजीव हो उठे।
वर्ष 1994 से अब तक नीड फॉर स्पीड सीरीज में कई खिलाड़ी 300 अरब मील से भी ज्यादा कार दौड़ा चुके हैं। रोमांचक रेस ट्रैक, ट्यूनिंग के ऑप्शन। नए संस्करण मोस्ट वॉन्टेड में कोई नियम नहीं है। यहां सब एक दूसरे से भिड़ते हुए दौड़ते हैं और पुलिस उनका पीछा करती है। स्केटबोर्ड पर घूमने वाला टोनी हॉक मशहूर गेम रहा। 1998 में एक्टिविजन कंपनी ने इस गेम को डिजाइन किया। आज इसके करीब 18 संस्करण हैं। मोटर हेड, पापा रोश, रेज अगेन्स्ट द मशीन इनमें से कुछ हैं, लेकिन इस से पहले की दुनिया काफी अलग थी। अगली पीढ़ी का जंप एंड रन गेम है स्पाइरो। बेहतर तकनीक के साथ बेहतर ग्राफिक्स आए और बैकग्राउंड और आवाज भी बदली। 1988 में पहली बार सोनी प्लेस्टेशन का एडिशन आया। एक छोटे से ड्रैगन को अपने साथी की रक्षा करनी है और मुश्किलों के बीच ड्रैगन के अंडे जमा करने हैं। 1980 में एक बहुत ही क्लासिक गेम आया। काले स्क्रीन पर पैक मैन को छोटे-छोटे गोले पकडऩे होते हैं। ये बिंदु हर दिशा से पैक मैन की ओर आते हैं। हर लेवल पर गेम की गति बढ़ती जाती है। कई बार एक्स्ट्रा प्वाइंट मिलते हैं।
वर्ष 2009 में सबसे तेज खिलाड़ी ने 255 लेवल तीन घंटे, 41 मिनट और 22 सेकंड में पार कर लिए। 1972 में अटारी कंपनी ने पॉन्ग नाम का गेम शुरू किया। यह थोड़ा बहुत टेबल टेनिस जैसा है। अब यह स्मार्टफोन के एप में शामिल हो गया है। मारियो फ्रेंड्स में सुपर मारियो को उसका असली काम दिया गया, प्लम्बर का। उसका भाई लुइगी के साथ वह जमीन के नीचे के पाइप्स में छिपे दुष्ट कछुओं, घिनौने झींगों से बचता है। मारियो नाम का यह कंप्यूटर गेम बच्चों में बेहद लोकप्रिय रहा। 1980 और 1990 के दशक में कोई भी बच्चा इस किरदार को देखते ही चहक जाता था। जापान की कंपनी निनटेंडो का बनाया यह गेम इतना लोकप्रिय हुआ कि बाद में इसके कई और वर्जन भी आए।
प्रजा मंडल आंदोलन
भारत में लगभग 6 सौ छोटी-बड़ी रियासतें थीं, जिन्हें ब्रिटिश सरकार देशी राज्य की संज्ञा देती थी। इन रियासतों में भारत की लगभग एक तिहाई जनता निवास करती थी। उनके शासक सामन्तवाजी और निरंकुश थे और ब्रिटिश सरकार के अधीनस्थ मित्र के रूप में काम करते थे।
असहयोग अंदोलन के दौरान और उसके बाद में विभिन्न देशी रियासतों में उनकी राज्य की जनता द्वारा प्रजा मंडलों या राज्यों की जनता के सम्मेलनों की स्थापना की गई थी। उनका उद्देश्य अपने - अपने राज्यों में प्रशासन का उदारीकरण और लोकतंत्र की स्थापना करना था। धीरे- धीरे अंादोलन गतिशील हो गया। दिसंबर 1927 में बलवंत राय मेहता, मणिलाल कोठारी और जी. आर. अभयंकर ने अखिल भारतीय राज्यों की जनता का सम्मेलन आयोजित किया, जिससे देशी रियासतों की जनता में व्यापक जागृति उत्पन्न हुई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी इस संघर्ष का समर्थन किया। वर्ष 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देशी रियासतों के प्रति कांग्रेस की नीति को स्पष्ट करते हुए कहा था- भारतीय राज्य (देशी रियासतें) शेष भारत से अलग नहीं रह सकते ।
वर्ष 1930 के दशक में सविनय अवज्ञा अंदोलन से उत्साहित होकर अनेक देशी रियासतों की जनता ने निर्वाचन द्वारा जनप्रतिनिधित्व और स्वशासन के सिधांतों की स्वीकृति के लिए अंादोलन चलाए। वर्ष 1939 में नेहरूजी अखिल भारतीय राज्य जन सम्मेलन के अध्यक्ष बने और जल्द ही प्रजा मंडल आंदोलन शेष भारत के आंदोलनों का अभिन्न अंग बन गया।