सामान्य ज्ञान
येलागिरी को एलागिरी भी कहते हंै, यह तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में बसा हुआ छोटा सा हिल स्टेशन है और इसको पर्यटकों का स्वर्ग भी कहा जाता है। इसका इतिहास प्रवासिय समय का है जब सारा येलागिरी वहां के ज़मीदारों की निजी संपत्ति हुआ करती थी जिनके घर आज भी रेड्दीयुर में मौजूद है। 1950 दशक के शुरुआत में, भारत सरकार द्वारा येलागिरी ले लिया गया था।
यह जगह समुद्र तल से 1048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और आदिवासी आबादी वाले लगभग 14 गांवों का एक समूह यहां है। विभिन्न जनजातियों की आबादी वाला यह हिल स्टेशन, तमिलनाडु के अन्य हिल स्टेशन जैसे ऊटी या कोडाइकनाल की तरह विकसित नहीं है। येलागिरी में कई मंदिर भी हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। पुनगनुर झील येलागिरी के सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है।
हस्तलक्षणदीपिका
हस्तलक्षणदीपिका एक ग्रंथ है जिसमें हस्तमुद्राओं के बारे में विशद वर्णन है। इसमे 24 मूल मुद्राएं बताई गई हैं। इन मुद्राओं के मेल से सैकड़ों मुद्राएं बनती हैं। हस्तमुद्राएं एक सम्पूर्ण सांकेतिक भाषा के अंग हैं जिनके माध्यम से कोई मेधावी कलाकार सभी विचारों को अभिव्यक्त कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि मुद्राओं का जन्म तांत्रिक कर्मकाण्डों से हुआ है।
प्रसंग की आवश्यकता के अनुसार हस्तमुद्राएं एक हाथ से या दोनों हाथों से व्यक्त की जाती हैं। चौबीस मूल हस्तमुद्राएं इस प्रकार हैं- अंजलि, अराल, अर्धचन्द्र, भ्रमर, हंसास्यम् , हंसपक्ष, कपितक, कर्तरीमुख, कटक, कटकमुख, मृगशीर्ष, मुद्राख्या, मुकुल, मुकुर, मुष्टि, ऊर्णनाभ, पल्लव, पताका, सर्पसिरस् , शिखर, सूचिमुख, शुकतुण्ड, त्रिपताका, वर्धमानक ।
ये मुद्राएं केरल के नृत्यनाटिकाओं (जैसे कथकली, कुटियाट्टम, मोहिनियाट्टं आदि) में प्रयोग की जाती हैं।