सामान्य ज्ञान
जैसा कि नाम से ही जाहिर है एक्सटेंडेड वॉरंटी एक स्टैंडर्ड वॉरंटी के कवरेज पीरियड का विस्तार है। मान लीजिए आपने एक फ्रिज खरीदा। फ्रिज पर आपको एक साल की स्टैंडर्ड वॉरंटी ऑफर की गई। अब दुकानदार आपसे कह सकता है कि अगर आप इतने पैसे और दे दें तो आपकी यह वॉरंटी दो साल की हो जाएगी। अब यह जो एक्स्ट्रा पैसे खर्च करके आपने एक और साल की वॉरंटी ली है, इसे ही एक्सटेंडेड वॉरंटी कहा जाता है। इसे सर्विस कॉन्ट्रैक्ट या सर्विस अग्रीमेंट के नाम से भी जाना जाता है। एक्सटेंडेड वॉरंटी आमतौर पर दो तरह की होती है। एक वह जो किसी प्रॉडक्ट के निर्माता द्वारा ऑफर की जाती है और दूसरी वह जो किसी थर्ड पार्टी द्वारा दी जाती है। दोनों ही स्थितियों में ग्राहकों को एक्सटेंडेड वॉरंटी लेने के लिए अतिरिक्त कीमत चुकानी पड़ती है।
कई बार इस बात को लेकर भी कन्फ्यूजन होता है कि क्या एक्स्टेंडेड वॉरंटी और बीमा एक ही चीज है? ऐसा कतई नहीं है। दोनों भले ही एक जैसे नजर आते हैं, लेकिन हैं अलग। उदाहरण के तौर पर ड्राइविंग की वजह से घिसकर किसी कार का रेडियेटर खराब हो जाए, तो एक्सटेंडेड वॉरंटी उसे कवर करेगी। यहां बीमा कोई काम नहीं आएगा, लेकिन अगर कार का एक्सिडेंट हो जाता है तो उसे बीमा से ठीक कराया जा सकता है। यहां एक्सटेंडेड वॉरंटी बेकार है।
एक्सटेंडेड वॉरंटी उन कस्टमर्स के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है जो किसी चीज को जरूरत से ज्यादा या उसके ऐवरेज यूज से ज्यादा इस्तेमाल करने में यकीन रखते हैं। इन स्थितियों में उस वस्तु के वियर ऐंड टेअर की संभावना बढ़ जाती है और उसके पार्ट्स खराब होने के चांस भी बढ़ जाते हैं। एक्सटेंडेड वॉरंटी का एक अहम फायदा यह है कि किसी वस्तु के किसी कीमती पार्ट (जैसे किसी कार का गियर बॉक्स या इंजन) के खराब होने की दशा में वह उसे सुरक्षा देती है। हकीकत यह भी है कि हर जगह और हर सामान के साथ एक्सटेंडेड वॉरंटी की जरूरत नहीं होती।