सामान्य ज्ञान
वर्तमान रावपिंडी (पाकिस्तान) में स्थित तक्षशिला प्राचीनकाल में शिक्षा के प्रमुख केन्द्र के रुप में प्रसिद्ध रहा है। बौद्ध साहित्य के अनुसार धनुर्विद्या और वैद्य-शिक्षा के लिए विश्वविख्यात इसी केन्द्र से चन्द्रगुप्त मौर्य ने सैन्य शिक्षा ग्रहण की थी।
इस नगर को जैन धर्म का तीर्थ स्थल भी कहा गया है। पुरातन प्रबंध संग्रह में यहां के 105 जैन स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। कौशल के राजा प्रसेनजित, मगध का राजवैद्य जीवक, प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ चाणक्य एवं बौद्ध विद्वान वसुबन्धु ने यहीं शिक्षा ग्रहण की थी। चीनी यात्री ह्वïेनसांग के भारत आगमन के समय शिक्षा और व्यापार का यह केन्द्र उजाड़ हो गया था।
मेमोर ऑफ वल्र्ड रजिस्टर
संयुक्त राष्टï्र संघ शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को द्वारा विश्व के दुर्लभ अभिलेखों, पाण्डुलिपियोंं को विश्व धरोहर के रूप में जिस रजिस्टर में अंकित किया गया है , उसे मेमेरी ऑफ वल्र्ड रजिस्टर का नाम दिया गया है।