सामान्य ज्ञान
कैल्साईट एक प्रकार का उपरत्न है। इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन तथा ग्रीक शब्दों से मिलकर हुई है। यह चूना पत्थर तथा संगमरमर में आमतौर से पाया जाता है। रंगहीन कैल्साईट अथवा प्रकाशीय कैल्साईट में दोहरा अपवर्तन पाया जाता है। जब किसी लिखे हुए शब्द पर कैल्साईट को रखा जाए और उसमें से शब्दों को देखा जाए तो लिखे हुए शब्द दोहरे दिखाई देते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि कैल्साईट में दोहरा अपवर्तन होता है। यह दो प्रकाश किरणों को छोड़ता है और दोहरी छवि का निर्माण करता है। इस कारण कई व्यक्ति इसका इस्तेमाल जादू दिखाने के लिए भी करते हैं।
प्राचीन समय से इस उपरत्न का उपयोग चिकित्सा पद्धति में किया जा रहा है। इस उपरत्न का उपयोग कई रुपों में किया जाता है। यह उपरत्न कई रंगों में प्राकृतिक रुप में पाया जाता है। माना जाता है कि सामान्य रुप से कैल्साईट ऊर्जा में वृद्धि करता है और जातक की सुरक्षा करता है। मानव मन का शुद्धिकरण करता है, व्यक्ति को आंतरिक शांति प्रदान करता है। विभिन्न रंगों में पाए जाने वाले कैल्साईट के गुण भी अलग-अलग होते हैं।
आम तौर पर यह नीले, रंगहीन, सफेद, हरे , पीले अथवा हनी, नारंगी, लाल तथा भूरे, गुलाबी, बैंगनी और काले और धूसर रंग में मिलता है। आमतौर पर यह उपरत्न संसार में सभी स्थानों पर पाया जाता है।